


सादुलपुर(चूरू)। गांव रामपुरा में गलत इंजेक्शन लगाने से एक गर्भवती महिला की मौत मामले में दूसरे दिन ग्रामीणों और पुलिस की हुई झड़प में थानाधिकारी एवं पुलिस के जवान घायल हो गए। पथराव के बीच पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर एवं लाठियां बरसाकर भीड़ को तितर-बितर किया। घटना में एसडीएम की जीप तथा एक एंबुलेंस क्षतिग्रस्त हो गई। ग्रामीणों को भी चोटें लगी हैं। सूचना पर जिला कलक्टर प्रदीप गांवडे तथा पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख भी मौके पर पहुुचे तथा घटना की जानकारी दी। घटना के बाद पूरे गांव में पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं विधायक डा.कृष्णा पूनिया को भी ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। सुबह गांव के महिला-पुरूष अस्पताल के सामने एकत्रित होने लगे। दस बजे बसपा नेता मनोज न्यांगली धरना स्थल पर पहुंचे। दोपहर को विधायक डा.कृष्णा पूनिया मौके पर पहुंची, तो आंदोलनकारियों ने उनका विरोध करते हुए नारेबाजी की।विधायक ने अस्पताल में महिलाओं को बुलाकर बात करने का प्रयास किया, लेकिन महिलाएं आने को तैयार नहीं थी। इस दौरान महिलाओं ने अस्पताल में घुसने का प्रयास किया। तो पुलिस ने महिलाओं को समझाकर रोक दिया। इस बीच कुछ महिलाओं पर पुलिस वालों ने लाठियां चला दी। भीड़ से गुस्सा गई और ग्रामीणों ने अस्पताल के सामने ही पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। पथराव में थानाधिकारी गुरभूपेन्द्रसिंह एवं हमीरवास थानाधिकारी सुभाषचंद्र एवं कई पुलिस कांस्टेबलों को चोटें लगी।
लाठी और गोली का डर नहीं, अन्याय के खिलाफ लड़ेगे
धरने स्थल पर पहुंचे उपनेता प्रतिपक्ष व चूरू विधायक राजेन्द्रसिंह राठौड़ ने कहा कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। बल्कि सामाजिक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि सफेद कपड़े पहने यह लोग हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। बसपा नेता मनोज न्यांगली, भाजपा नेता रामसिंह कस्वा, जिला प्रमुख हरलाल सहारण, भाजपा युवा मोर्चा के कृष्ण भाकर आदि ने मांग का समर्थन करते हुए पीडि़त परिवार को दस लाख रूपए आर्थिक सहायता एवं परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने तथा दोषी मेडिकल स्टॉफ को निलंबन करने की मांग की है।
वार्ता हुई विफल
मांग के समर्थन में 11 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया। जिसमें उपनेता प्रतिपक्ष व विधायक चूरू राजेन्द्रसिंह राठौड़, रामसिंह कस्वा, मनोज न्यांगली, जिला प्रमुख हरलाल सहारण एवं गांव के प्रमुख सात लोग शामिल थे। सदस्यों की जिला कलक्टर एवं एसपी से वार्ता हुई तथा पीडि़त को दस लाख रूपए की मदद करने, परिवार के सदस्य को नौकरी देने, दोषी मेडिकल स्टॉफ को निलंबन करने की मांग पर सहमति नहीं बनी।जिसके बाद ग्रामीणों ने मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने एवं मांगों के निराकरण के बाद ही शव लेने एवं अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया है। देर शाम तक शव नहीं उठाया गया।