मृत्यु भोज नहीं करके अपनाघर आश्रम में और विप्र केयर में दिए 7.21 लाख

7.21 lakhs given in Apna Ghar Ashram and in Vipar Care after not serving death
Spread the love

नोखा। अपने किसी परिजन को, और वो भी यदि मुखिया रूपी पिता हो तो उन्हें खो देना संसार की सबसे बड़ी पीड़ा होती है क्योंकि पिता ना सिर्फ भौतिक अस्तित्वदाता होते हैं अपितु संतान अपना निजी और सामाजिक जीवन किन आदर्शों के साथ व्यतीत करें इसके शिल्पकार भी वही होते हैं। मुखिया के चले जाने के बाद परिजनों द्वारा उनकी यादों को चिरस्थाई बना देने वाले कार्य, उनके द्वारा सौंपी गई संस्कार विरासत को आगे बढ़ाने वाले निर्णय ही इस तथ्य का निर्धारण भी करते हैं कि उन्होंने अपना जीवन किन आदर्शों के साथ जिया था। पारीक परिवार, नोखा के स्व. बजरंगलाल पारीक का 10 नवम्बर 2020 को देवलोकगमन हो गया था। चारों तरफ विश्वव्याप्त महामारी कोरोना ने इस समय उज्ज्वल मानवता पर जैसे ग्रहण सा लगा रखा है ऐसे में इस परिवार के द्वारा अपने मुखिया के देवलोकगमन पर कोई बैठक नहीं रखना व मृत्यु पर भोज का आयोजन नहीं करना ना सिर्फ साहसिक अपितु अनुकरणीय उदाहरण हैं उनके सुपुत्रों पवन पारीक व प्रदीप पारीक व इनकी माताजी श्रीमती काशीदेवी व भ्राता संपतलाल द्वारा दिवंगत आत्मा की यादों को चिरस्थाई स्वरूप प्रदान करने के लिए कुल 721000 रुपये जिसमें मानव सेवा के जीते जागते मंदिर ‘अपना घरÓ को 5,00,000/- रुपये की राशि (एक कमरा 5 बेड) भेंट कर अनाथ व निराश्रित लोगों को एक सम्मानजनक आश्रय की व्यवस्था करना स्वयं में वंदनीय कार्य है..साथ ही इस परिवार ने 2.21 लाख रुपये जिसमें विप्र फाउंडेशन के कोरोना सहायता कोष ‘विप्र केयरÓ, स्थानीय गंगा गोशाला, इंद्रा रसोई व कुलदेवी कुंजल माता मंदिर में भी राशि भेंट कर जरूरतमंदों की सहायता का हाथ बढ़ाया है। ऐसे पावन कार्य ना सिर्फ दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करते हैं अपितु अन्य समाजजनों हेतु भी ऐसे प्रतिमान रूपी मार्ग का निर्माण करते हैं जिन पर चलकर जीवन को सार्थकता प्रदान की जा सकती है…इस परिवार के पवन पारीक विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय महामंत्री है और विश्व विख्यात मानव सेवा केंद्र ‘अपना घरÓ, तथा कुंजलमाता ट्रस्ट से भी तन,मन व धन से लंबे समय से जुड़ें हुए हैं ।

Load More Related Articles
Load More By alertbharat
Load More In बीकानेर

Leave a Reply