अब गांवों में सुलझेंगे संपत्ति व रास्तों के विवाद, गूगल मैप से होगा सर्वे, आबादी में जिसकी संपत्ति उनको मिलेंगे पट्टे

Now the dispute of property and paths will be resolved in the villages, survey will be done with Google Map, in the population whose property they will get the lease
Spread the love

जोधपुर। अब गांवों की रिहाइशी संपत्ति का ड्रोन से सर्वे कर डिजिटल मानचित्र तैयार किया जाएगा। इसके बाद में उस व्यक्ति को पट्टा दिया जाएगा। सरकार ने जिसकी जमीन उसका पट्टा में स्वामित्व योजना शुरू की है। इस साल पायलट प्रोजक्ट है। इसके तहत एक लाख गांवों में काम होना है। प्रथम चरण में राजस्थान के जैसलमेर जिले का चयन कर ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग व राजस्व विभाग सर्वे की तैयारियों में जुट गया है। इसके लिए राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर एवं जिला परिषद के सीईओ को क्रियान्वयन से संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही आबादी के अंदर की जमीनों के कागजी दस्तावेज तैयार होंगे। रास्ते के अलावा खाली पड़ी जमीनों के विवाद सुलझ जाएंगे। गांव के अंदर किस व्यक्ति की जमीन कहां हैं? उसकी क्या-क्या अचल संपत्तियां है? इसका ब्योरा जुटाया जाएगा और सेटेलाइट से गांवों की गूगल मैपिंग कराकर इस रिकार्ड को सरकारी मान्यता प्रदान की जाएगी।
ड्रोन से होगी फोटोग्राफी, आबादी के रास्ते की होगी मैपिंग
योजना में सबसे पहले गांव की आबादी के रास्ते के आसपास चूने की लाइन बनेगी। इसके बाद ड्रोन से गांवों की आबादी, रिहाइशी इलाकों की हाई रिजोल्यूशन 2 डी तस्वीर खिंचेगी। तस्वीर में मकान की पैमाइश आ जाएगी। इसके आधार पर राजस्व विभाग मकानों का नंबर देगा। मकान मालिक को प्रॉपर्टी कार्ड जारी किया जाएगा। अभी तक राजस्व नियमों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे यह साबित हो कि गांव के अंदर किसकी कौनसी जमीन है।
नक्शे बनाने का काम सर्वे ऑफ इंडिया करेगा
नक्शे बनाने का काम सर्वे आफ इंडिया करेगा। राजस्व विभाग और पंचायती राज विभाग इसमें सहयोग करेंगे। अत्याधुनिक एचडी तस्वीरों में गांव के हर घर का एक-एक मेजरमेंट रहेगा जिसमें टोटल एरिया, कवर्ड एरिया सब कुछ आ जाएगा। मैप बिल्कुल अलग होगा।
नक्शे की भाषा में कहें तो यह 500 के स्केल पर होगा। इस पैमाने पर किसी शहर का मैप अभी तक नहीं बना है। इसके बाद बड़े मैप बनाने की जरूरत नहीं होगी। इन्हीं से बड़े नक्शे बनाए जा सकेंगे। मकानों के नक्शों के आधार पर सरकार मालिकाना हक के कागजात बनाएगी। सरकार गांव में नाली का प्लान करना चाहे या पाइपलाइन डालना चाहे तो जमीन की ऊंचाई-निचाई भी इसमें दिखाई जाएगी। गलियों तक का ब्योरा इस डिजिटल मैप में होगा।
ड्रोन सर्वे के लिए राज्य पहले सर्वे ऑफ इंडिया से एमओयू करेंगे
जमीन पर प्रॉपर्टी का सीमांकन गांव के लोग, ग्राम पंचायत और राज्य का राजस्व विभाग करेगा। खुला मैदान, सरकारी भूमि, पंचायत की जमीन, लोगों की संपत्ति इन सब संपत्तियों के निर्धारण में राजस्व विभाग और राज्य का पंचायती राज विभाग सर्वे ऑफ इंडिया की मदद करेगा। ड्रोन सर्वे के दौरान ड्रोन उड़ाने वाली टीम के साथ राजस्व विभाग और ग्राम पंचायत के कर्मचारी रहेंगे और जरूरत पडऩे पर पुलिसकर्मी भी रहेगा। सर्वे हो जाने के बाद राज्य का राजस्व विभाग और पंचायती राज विभाग मालिकाना हक की वैधानिकता जांचने के लिए अधिसूचना जारी करेगा। आपत्तियां आएंगी उनका निस्तारण राजस्व विभाग जांच अधिकारी करेगा। संपत्तियों के सत्यापन के बाद नाम बदलने, संयुक्त मालिकाना हक जैसे संशोधन किए जाएंगे। जो मामले नहीं सुलझेंगे उसे जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर के पास भेज दिया जाएगा।

Load More Related Articles
Load More By alertbharat
Load More In राजस्थान

Leave a Reply