


बीकानेर। नोखा के मूंदड़ गांव में नाई ने सांसी समाज के तीन बच्चों के बाल काटने से मना कर दिया। अपमानित कर तीनों को दुकान के बाहर निकाल दिया। चाइल्ड हेल्पलाइन के जरिए यह मामला पुलिस के पास पहुंचा तो जसरासर थाने में केस दर्ज हुआ। विवाद के तूल पकडऩे से पहले ही दुकानदार फरार हो गया। मानवाधिकार आयोग को भी संज्ञान लेने के लिए लिखा गया है। मूंदड़ गांव में सांसी परिवार के तीन बच्चे रेवंताराम (15), राजूराम (15) और बजरंगलाल (11) पिछले दिनों नाई की दुकान पर कटिंग करवाने पहुंचे थे। कुर्सियां खाली देखकर तीनों बच्चे बैठ गए तो दुकानदार चेनाराम नाई भड़क गया। उसने तीनों बच्चों को छोटी जाति का बताकर कटिंग करने से मना कर दिया और अपमानित करने के बाद धक्के देकर दुकान से निकाल दिया। तीनों ने घर पहुंचकर घटना बताई तो रेवंताराम के पिता शिवलाल दुकान पहुंचे। सांसी परिवार ने घटना के खिलाफ आवाज उठाई और मामला नोखा के उरमूल ज्योति संस्थान पहुंचा तो जसरासर थाने में दुकानदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। सामाजिक न्याय एवं विकास समिति के सचिव गोपालराम वर्मा मूंदड़ गांव पहुंचे और पीडि़तों के बयान लिए। उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग, एडीजी मानवाधिकार, कलेक्टर और एसपी को पत्र लिखा है। गौरतलब है कि 13 फरवरी दुकानदार ने कटिंग करने से मना किया और 16 फरवरी को जसरासर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 के अनुसार जाति, लिंग, धार्मिक विश्वास या जन्म स्थान आदि के आधार पर देश के किसी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं हो सकता है। लेकिन नोखा के मूंदड़ गांव की यह घटना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन किया तो पुलिस तक पहुंचा मामला
दुकानदार की ओर से बच्चों की कटिंग करने से मना करने से उन्होंने अपमानित महसूस किया और चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन कर सहायता मांगी। वहां से पूरी मदद करने का जवाब मिला और नोखा में उरमूल ज्योति संस्थान के पदाधिकारियों को फोन किया गया। उन्होंने पीडि़त परिवार से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली और पीडि़त पक्ष ने जसरासर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया।
दुकानदार के चाचा की रिकॉडिंग है जिसमें उसने कटिंग करने से मना किया है
सामाजिक न्याय एवं विकास समिति के सचिव गोपालराम वर्मा ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर वह दौसा से बीकानेर के मूंदड़ गांव पहुंचे। उन्होंने पूरी जानकारी ली। दुकान पर भी गए। दुकानदार के चाचा से बातचीत की तो उन्होंने भी सांसी जाति के परिवार की कटिंग करने से मना किया जिसकी रिकॉडिंग भी है। पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए पूरा घटनाक्रम मानवाधिकार के संज्ञान में लाया गया है।