


बीकानेर। भाजपा नेता दीपक पारीक को लॉरेंस विश्नोई की धौंस दिखाकर रंगदारी मांगने व धमकाने के मामले का दूसरा आरोपी भी पुलिस की पकड़ में आ गया है। इस मामले में पुलिस ने जम्भेश्वर नगर निवासी बजरंग सींगड़ को हिरासत में लिया है। जिसे भाटो के बास से पकड़ा गया है। थानाधिकारी गोविन्द सिंह चारण ने बताया कि इस प्रकरण में पूर्व में पकड़े गये लोहावट निवासी कैलाश विश्नोई ने पूछताछ के दौरान इसका नाम उगला है। आरोपी बजरंग ने ही कैलाश को दीपक पारीक के बारे में जानकारी दी। उसी ने पारीक की रैकी की तथा मोबाइल नंबर उपलब्ध करवाए। इसके बाद कैलाश ने क ंप्यूटर से पारीक के नंबर पर कॉल किए। कैलाश का भाई सुरेश भी इस दौरान बीछवाल जेल में जेसी काट रहा था। वह 306 के एक मामले में जेसी के तहत 22 माह तक जेल में बंद था। इसी दौरान कैलाश भाई से मिलने बीकानेर भी आया बताते हैं। दरअसल, कैलाश विश्नोई और बजरंग अफीम तस्करी का काम करता है। कैलाश द्वारा बजरंग को अफीम उपलब्ध करवाई जाती तथा वह लोकल मार्केट में इसे बेच देता। कैलाश को जब यह काम छोटा लगने लगा तो उसने पंजाब की ओर रुख करने का मन बना लिया। पंजाब अफीम का बड़ा मार्केट है, ऐसे में वह पंजाब में अफीम सप्लाई कर तस्करी की दुनिया का बादशाह बनना चाहता था। इस काम के लिए उसे एक फॉर्च्यूनर गाड़ी की जरूरत थी। गाड़ी लेने के लिए ही कैलाश ने पारीक को निशाना बनाना चाहा। मगर सफलता नहीं मिली। पुलिस के अनुसार दोनों आरोपियों के गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई ने संबंध है। ऐसे में मामले में लॉरेंस की भूमिका भी हो सकती है। पुलिस ने बजरंग को भी कोर्ट में पेश कर उस पर 18 मार्च तक का रिमांड प्राप्त किया है। पुलिस अब यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि इस मामले में लॉरेंस की भूमिका है या नहीं। फिलहाल दोनों के लॉरेंस से संबंधों की पुष्टि हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 में दर्ज हुए इस मुकदमें में प्रथम तफ्तीश तत्कालीन थानाधिकारी गुर भूपेंद्र सिंह ने की थी। उस समय गुर ने जेल में बंद लॉरेंस के लेफ्ट हैंड संपत्त नेहरा से भी पूछताछ की। लेकिन संपत्त ने पारीक को फोन कॉल करने तथा इस मामले से जुड़े होने से इंकार दिया। हालांकि संपत्त ने जोधपुर जेल में बंद हीरा जाट का नाम लिया। उसने बताया कि हीरा जाट ने उनके नाम का पहले भी दुरुपयोग किया है, ऐसे में इस मामले से उसका लिंक हो सकता है। उसके बाद इतने समय तक जांच ठंडे बस्ते में रही। हाल ही में एसपी प्रीति चंद्रा ने उक्त मामले को लेकर थानाधिकारी गोविंद सिंह चारण क ो जल्द से जल्द प्रगति देने के आदेश फरमाए। इस पर एएसपी शैलेन्द्र सिंह इंदोलिया, सीओ सिटी सुभाष शर्मा के निर्देशन में थानाधिकारी गोविंद सिंह चारण मय टीम ने जांच शुरू की। चारण ने हीरा के बारे में पता लगाया, तो पता चला कि हीरा नहीं बल्कि हीरा का एक साथी कैलाश ने यह कॉल किए थे। इसके बाद चारण मय टीम ने कैलाश को दबोच लिया। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि लॉरेंस इस मामले में शामिल था या कैलाश के उससे संपर्क होने की वजह से उसने लॉरेंस के नाम की धौंस दिखाई।