


बीकानेर। चंग की थाप पर थिरकती मस्तानों की टोली, स्वांग वेश धारण किए होली के रसिक और इन सबके बीच देर रात दो स्थानों पर रम्मतों का मंचन। शहर में होली की रंगत अब पूरी तरह परवान चढ़ गई देर रात बिस्सों के चौक में शहजादी नौटंकी रम्मत रम्मत हुई तो भड़ों के चौक में स्वांग मेहरी रम्मत का मंचन किया गया। बिस्सों के चौक में रमण बिस्सा की शहजादी नौटंकी की रम्मत देर रात शुरू हुई। रम्मत के दौरान देवर भाभी के संवाद के बीच देवर ने भाभी से कहा कि नौटंकी के बिना बचे मेरी जान, छोड़ अपने वतन को आयो गढ़ मुल्तानÓ कहते फूलसिंह ने संकल्प लिया कि जब तक शहजादी को नहीं लाऊंगा मुंह नहीं दिखाऊंगा। कहकर निकले फूलसिंह ने रम्मत को रोचक बना दिया। अंत में राजा का शादी के लिए मानना और फूलसिंह का शहजादी लेकर लौटना के दृश्यों ने उपस्थित लोगों में जोश भोर दिया। दूसरी ओर भड़ों के चौक में फागुजी व्यास की स्वांग मेहरी की रम्मत देर रात शुरू हुई। पारंपरिक वेशभूषा और स्वांग धारण कर कलाकार मंच पर पहुंचे तो होली रंगत परवान चढ़ गई। चौमासे में मत जावो परदेश पिया थे… ये समझाती नायिका ने परदेस नहीं जाने के कारण गिनाए। धन जोबन कुण सूनो छोड़े, पढ़ प्रीतम अफसाना, बरस रया पानी पर पानी, आया नया जमाना, जब पिया के आने की बात हुई तो उत्साहित होकर हो गई प्रसन्न काया, जब बालम घर आया…सरीखे ख्याल सुनने की होड़ दर्शकों में रही।