


बीकानेर। कोरोना संक्रमण की वजह से इस वर्ष सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द करने के बाद अब राजस्थान बोर्ड में बड़े फैसले को लेकर मंथन हो रहा है। इससे पहले 10वीं के एग्जाम भी रद्द कर दिए गए थे। सरकार के इस फैसले से राजस्थान के स्कूलों में पढ़ रहे करीब 65 हजार बच्चों को राहत मिली है, जबकि राजस्थान सरकार राज्य बोर्ड की परीक्षा पर बुधवार दोपहर तक फैसला कर सकती है। राजस्थान में 10वीं और 12वीं के करीब 21 लाख बच्चों को सरकार के निर्णय का इंतजार है।
रिजल्ट पर की गाइडलाइन तय नहीं
सीबीएसई ने परीक्षा तो स्थगित कर दी, लेकिन अभी यह तय नहीं किया है कि बच्चों को रिजल्ट किस आधार पर तैयार किया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से जारी सूचना में यह जरूर कहा गया है कि रिजल्ट बनाने के लिए ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया तय किया जाएंगे। यह कैसे होगा? इस बारे में स्पष्ट निर्देश जारी नहीं हुए हैं।
राजस्थान कैबिनेट मीटिंग में होगा फैसला
बुधवार दोपहर राज्य सरकार की कैबिनेट मीटिंग होगी, जिसमें 10वीं और 12वीं की परीक्षा के संबंध में अंतिम निर्णय होगा। उम्मीद की जा रही है कि बुधवार दोपहर तक इस बारे में अंतिम निर्णय हो जाएगा। राजस्थान में 10वीं क्लास के करीब 11 लाख स्टूडेंट्स हैं, जबकि 12वीं क्लास के 10 लाख स्टूडेंट्स हैं। जब केंद्र सरकार ने ष्टक्चस्श्व के 10वीं क्लास के एग्जाम निरस्त किए थे, तब राजस्थान सरकार ने प्रदेश में परीक्षा रद्द करने से इनकार कर दिया था। उम्मीद की जा रही थी कि कोरोना के हालात सुधरेंगे तो मई-जून में एग्जाम कराए जाएंगे। दूसरी लहर के अत्यंत खतरनाक रहने के कारण राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस बारे में निर्णय नहीं कर पाया।
कई राज्यों पर नजर
राजस्थान में शिक्षा विभाग उन राज्यों पर की एग्जाम पॉलिसी का भी अध्ययन कर रहा है, जिन्होंने अलग-अलग तरह से बच्चों को पास भी कर दिया और परीक्षा का ज्यादा बर्डन भी नहीं दिया। फिलहाल छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश सहित कुछ राज्यों की एग्जाम पॉलिसी पर काम हो रहा है। शिक्षा विभाग अपनी तरफ से 10 प्रस्ताव सरकार के समक्ष रख चुका है। इन प्रस्तावों को कैबिनेट में रखा जाएगा। जहां अंतिम निर्णय होगा।
राजस्थान में ये हो सकते हैं विकल्प
1. सीबीएसई की तरह आरबीएसई भी दोनों कक्षाओं की परीक्षा निरस्त कर सकता है। दरअसल, कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के चपेट में आने की आशंकाओं के बीच सरकार परीक्षा का रिस्क संभवत: नहीं लेगी। ऐसी स्थिति में सभी 21 लाख बच्चों को बिना किसी औपचारिक परीक्षा के सीधे प्रमोट कर दिया जाएगा।
2. यह भी संभव है कि 10वीं के स्टूडेंट्स के एग्जाम निरस्त करके 12वीं के लिए कुछ इंतजार किया जाए। दरअसल, 12वीं के आधार पर होने मेडिकल व इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम भी आगे खिसक रहे हैं। ऐसे में अभी कुछ समय इंतजार का वक्त राज्य सरकार के पास है।
3. किसी भी तरह बारहवीं क्लास का एक फार्मल एग्जाम हो सकता है, जिसमें स्टूडेंट एक ही टेस्ट देगा और उसी आधार पर उसका रिजल्ट जारी हो जायेगा।
4. स्टूडेंटस से टेक होम एग्जाम का विकल्प भी शिक्षा विभाग रख सकता है। जिसमें पेपर बच्चों तक पहुंचाकर एक उत्तर पुस्तिका में जवाब लिया जाये। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है।