‘डॉ. तैस्सितोरी राजस्थानी भाषा-संस्कृति के अमर साधक थे’

Doctor. Taissitori was an immortal seeker of Rajasthani language and culture.
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बीकानेर। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की पुण्यतिथि पर उनके समाधि-स्थल पर सोमवार को पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस दौरान अकादमी कार्मिकों द्वारा डॉ. तैस्सितोरी के कृतित्व से प्रेरणा लेकर मायड़ भाषा के संवर्द्धन-उन्नयन के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य करने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर कथाकार व अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि डॉ. तैस्सितोरी राजस्थानी भाषा-संस्कृति के अमर साधक थे। वे बहुभाषाविद्, पुरातत्ववेत्ता व भाषावैज्ञानिक थे। उन्होंने भारत व यूरोप के मध्य भाषिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक सेतु के रूप में कार्य किया। उन्होंने इटली से भारत आकर भारतीय संस्कृति, पुरातत्व, भाषा-साहित्य के लिए अतुलनीय योगदान दिया। उन्होंने बीकानेर आकर इस क्षेत्र का ऐतिहासिक सर्वेक्षण किया। इस अवसर पर सूचना सहायक केशव जोशी, कानसिंह, मनोज मोदी ने भी डॉ. तैस्सितोरी की समाधि पर पुष्प अर्पित किये व मोमबत्तियां जलाईं।

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