गांधी गोडसे एक युद्ध में जेलर की भूमिका में बीकानेर के संदीप भोजक

Sandeep Bhojak of Bikaner in the role of jailer in Gandhi Godse Ek War
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एक ही माह में 20 किलो वजन घटाया और 20 किलो ही बढ़ाया
बीकानेर। 26 जनवरी को ‘गांधी गोडसे एक युद्ध’ फिल्म रिलीज होने जा रही है। डायरेक्टर राजकुमार संतोषी की इस फिल्म में बीकानेर के संदीप भोजक भी जेलर की भूमिका निभा रहे हैं। संदीप भोजक पिछले सात साल से अभिनय क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। गांधी गोडसे एक युद्ध फिल्म में जेलर की भूमिका निभा रहे हैं। इस किरदार के लिए भोजक ने एक माह में बीस किलो वजन बढ़ाया था और अगली फिल्म में उन्हें कॉलेज स्टूडेंट की भूमिका निभानी थी इसलिए उसी माह 20 किलो वजन घटाना भी पड़ा। इसके लिए रोजाना तीन-चार घंटे जिम भी करते थे। खास बात यह भी है कि गांधी गोडसे एक युद्ध फिल्म में जेलर की भूमिका के साथ-साथ वे डायरेक्टर राजकुमार संतोषी को असिस्ट भी कर रहे हैं। आपको बता दें राजकुमार संतोषी ने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। घायल, घातक, दाामिनी, अंदाज अपना अपना, खाकी, लज्जा, अजब प्रेम की गजब कहानी जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं।
विलेन और कॉमेडी करेक्टर हैं पसंदीदा
संदीप भोजक इन दिनों राजकुमार संतोषी की अगली प्रोजेक्ट बैड बॉय में मिथुन चक्रवर्ती व नमासी चक्रवर्ती संग स्क्रीन शेयर करते नजर आने वाले हैं. इसके अलावा संदीप ने बैटल ऑफ सारागढ़ी, होटल मुंबई, राम-राज्य जैसी प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे हैं। इससे पहले दीया, बाती और हम, कुमकुम भाग्य, ये है मोहब्बतें, मेरे सांई, गंगा, हम आपके घर में रहते हैं, हम पांच फिर से, अल्लादीन, परम अवतार श्री कृष्ण आदि सीरियल में अपनी अदाकारी दिखाई। एक पहेली लीला, बैटल ऑफ सारगढ़ी, चाइनिज फिल्म मंडाला, हॉलीवुड फिल्म- होटल मुम्बई, द ब्लैक प्रिंस एवं अन्य टीवी सीरियलों आदि में भूमिका निभा चुके हैं। संदीप अब तक सात बार पुलिस का किरदार निभा चुके हैं। संदीप को कॉमेडी और विलेन केरेक्टर पसन्द हैं तथा कादर खान व ओम पुरी को वे अपना आइडल मानते हैं।
बिजनेस में दिखाया घाटा, पकड़ी मुम्बई की ट्रेन
शूज और रेडीमेड शॉप अच्छी चल रही थी, लेकिन बार-बार मुम्बई जाकर कुछ करने की ठनक मन में थी। संदीप बताते हैं कि पिताजी विनोद भोजक पर्यटक व्यवसायी हैं। पिता चाहते थे कि संदीप व्यवसाय करे लेकिन अभिनय की दुनिया में अपनी पहचान बनाने का सपना संजोये संदीप को बिजनेस में नहीं कला में रुचि थी। इसी सपने को पूरा करने के लिए संदीप ने होशियारी खेलते हुए अपने पिता से व्यवसाय नहीं चलने और बिजनेस में घाटा दिखा कर उसे बंद करने की बात कही। संदीप ने अपने पिता से कहा कि वे अपनी एक और शॉर्ट फिल्म की एडिटिंग के लिए मुम्बई जाना चाहते हैं और एक इमोशनल मास्टर स्ट्रोक भी रखते हुए कहा कि हमारे संस्कारों से ही हम बिगड़ते व सुधरते हैं। संगत और संस्कार यदि मेरे सही हैं तो कभी गलत राह पर नहीं जाऊंगा। इसी विश्वास के दम पर पिता ने मुम्बई भेजने की परमिशन भी दे दी और फिर पकड़ ली मुम्बई की ट्रेन। बैंक में 50 हजार रुपए एकाउंट में डिपोजिट करवा कर मुम्बई पहुंचने के बाद दिनभर ऑडिशन और रात को स्वयं की शॉर्ट यूट्यूब मूवी एडिटिंग करने वाले संदीप बताते हैं कि इस शुरुआत में जहां पिता ने सहयोग दिया वहीं भाई कुलदीप और बहन दिव्या, माँ स्नेहलता और पत्नी सुधा व बेटी मिशिका आज संदीप पर प्राउड करती हैं और कहती हैं कि सपना सच करने के लिए मेहनत और उत्साह होना जरूरी है। संदीप ने थियेटर में ऐसो चतुर सुजान, मंगल पांडे सहित अनेक नाटकों में डायरेक्टर मुकेश सेवग, विपिन पुरोहित, दिलीप भाटी के नेतृत्व में अपना अभिनय दिखा चुके हैं।

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