गैगरेप के मामले मे डाक्टर बोले देखते ही पता चल गया था कुछ गडबड है

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बीकानेर। बीकानेर के खाजूवाला में कोचिंग छात्रा से गैंगरेप और मौत के मामले में पूरा राजस्थान सदमे में है। घटना का सबसे शर्मनाक पहलू है, मामले में दो पुलिस कॉन्स्टेबल की भूमिका। 20 जून को गैंगरेप के बाद छात्रा की मौत हो गई, लेकिन उसका शव अब भी इंसाफ का इंतजार कर रहा है।
आरोप है कि खाजूवाला थाने के दो कॉन्स्टेबल मनोज कुमार और भागीरथ ने दिनेश विश्नोई नाम के एक युवक के साथ मिलकर छात्रा के साथ गैंगरेप किया। दिनेश पेशे से ड्राइवर है। पीड़िता के पिता ने नामजद FIR करवाई है। इधर, घटना के बाद हुए हंगामे से दबाव में आई पुलिस ने कॉन्स्टेबल मनोज को बर्खास्त कर गिरफ्तार कर लिया है और कॉन्स्टेबल भागीरथ को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, एक अन्य आरोपी राकेश कुमार को भी गिरफ्तार किया है।
इस मामले में मुख्य आरोपी दिनेश कुमार पुलिस थाने में आता-जाता रहता था। दिनेश खाजूवाला थाने के पूर्व सीआई अरविंद सिंह शेखावत की विदाई पार्टी में भी शामिल हुआ था। पुलिस विभाग ने आरोपी को संरक्षण देने, बदमाश प्रवृत्ति के लोगों को थाने में आने देने और पुलिस जीप में बैठकर वीडियो बनाने देने व वायरल करने देने के आरोप में तत्कालीन SHO अरविंद सिंह शेखावत को भी सस्पेंड कर दिया है।
मामले से जुड़ा हर सच जानने के लिए छात्रा के परिजनों, पुलिस अधिकारियों और अस्पताल में छात्रा को अटैंड करने वाले डॉक्टर व नर्स से बात की, जिसमें कई हैरान कर देने वाली बातें सामने आईं…।जहां गैंगरेप हुआ, वहां से अस्पताल महज 2 मिनट दूरी पर था, लेकिन अस्पताल पहुंचाया गया आधे घंटे बाद।छात्रा का इतना खून बह गया था कि वह खड़ी तक नहीं हो पा रही थी।डॉक्टरों का कहना है कि कपड़े खून में लथपथ थे, देखते ही पता चल गया था मामला संदिग्ध है।मामले में सबसे बड़ा सवाल अब भी अनसुलझा है- आखिर तीनों आरोपी युवती को किराये के कमरे तक लेकर कैसे गए?

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