


अब डेढ़ घंटे में गैस से होगा एक शव का अंतिम संस्कार
बीकानेर संभाग का पहला गैस आधारित शवदाह गृह आरसीपी कल्याण भूमि शवदाह गृह में बनकर तैयार हो गया है। गैस आधारित शवदाह गृह में अब लकडिय़ों के स्थान पर एलपीजी गैस से शवों का अंतिम संस्कार होगा। इस शवदाह गृह का निर्माण शहरी जन सहभागिता योजना व नगर निगम कोष से हुआ है। शवदाह गृह में शवों के अंतिम संस्कार के लिए मशीन स्थापित होने के साथ धुंए की निकासी के लिए चिमनी का निर्माण, कमरे, टिन शैड़ आदि का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। निगम जल्द इस शवदाह गृह की ट्रायल लेगा। गैस आधारित शवदाह गृह का पूर्ण निर्माण होने के बाद अधीक्षण अभियंता के निर्देश पर एक्सईएन व जेईएन ने सभी तैयारियों का निरीक्षण किया। संभवत अगले सप्ताह निगम इस शवदाह का ट्रायल ले सकता है।
गैस आधारित शवदाह गृह कुल 81 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है। इसमें शहरी जनसहभागिता योजना अन्तर्गत 75 लाख रुपए व शेष निगम कोष से राशि खर्च हुई है। निगम अभियंताओं के अनुसार इसमें 34 लाख रुपए के सिविल कार्य तथा 47 लाख रुपए के यांत्रिकी-विद्युत कार्य हुए है।
तीन कमरे, 100 फीट ऊंची चिमनी
इस शवदाह गृह में तीन कमरों का निर्माण हुआ है। एक स्क्रबर रूम, दूसरा गैस बॉटल रूम और तीसरा स्टोर रूम है। शवदाह गृह की ऊंचाई करीब 15 फीट है। शवों के अंतिम संस्कार के दौरान निकलने वाले धुएं के लिए 100 फीट ऊंची चिमनी बनाई गई है।
एक साथ चलेंगे दस गैस सिलेण्डर
शव के अंतिम संस्कार में व्यवसायिक गैस सिलेण्डर की खपत करीब डेढ सिलेण्डर बताई जा रही है। अभियंताओं के अनुसार शव के अंतिम संस्कार के दौरान दस गैस सिलेण्डर एक साथ चलेंगे। शव का अंतिम संस्कार करीब एक घंटे में होगा।
बीकानेर संभाग का पहला गैस आधारित शवदाह गृह आरसीपी कल्याण भूमि शवदाह गृह में बनकर तैयार हो गया है। गैस आधारित शवदाह गृह में अब लकडिय़ों के स्थान पर एलपीजी गैस से शवों का अंतिम संस्कार होगा। इस शवदाह गृह का निर्माण शहरी जन सहभागिता योजना व नगर निगम कोष से हुआ है। शवदाह गृह में शवों के अंतिम संस्कार के लिए मशीन स्थापित होने के साथ धुंए की निकासी के लिए चिमनी का निर्माण, कमरे, टिन शैड़ आदि का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। निगम जल्द इस शवदाह गृह की ट्रायल लेगा। गैस आधारित शवदाह गृह का पूर्ण निर्माण होने के बाद अधीक्षण अभियंता के निर्देश पर एक्सईएन व जेईएन ने सभी तैयारियों का निरीक्षण किया। संभवत अगले सप्ताह निगम इस शवदाह का ट्रायल ले सकता है।
गैस आधारित शवदाह गृह कुल 81 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है। इसमें शहरी जनसहभागिता योजना अन्तर्गत 75 लाख रुपए व शेष निगम कोष से राशि खर्च हुई है। निगम अभियंताओं के अनुसार इसमें 34 लाख रुपए के सिविल कार्य तथा 47 लाख रुपए के यांत्रिकी-विद्युत कार्य हुए है।
तीन कमरे, 100 फीट ऊंची चिमनी
इस शवदाह गृह में तीन कमरों का निर्माण हुआ है। एक स्क्रबर रूम, दूसरा गैस बॉटल रूम और तीसरा स्टोर रूम है। शवदाह गृह की ऊंचाई करीब 15 फीट है। शवों के अंतिम संस्कार के दौरान निकलने वाले धुएं के लिए 100 फीट ऊंची चिमनी बनाई गई है।
एक साथ चलेंगे दस गैस सिलेण्डर
शव के अंतिम संस्कार में व्यवसायिक गैस सिलेण्डर की खपत करीब डेढ सिलेण्डर बताई जा रही है। अभियंताओं के अनुसार शव के अंतिम संस्कार के दौरान दस गैस सिलेण्डर एक साथ चलेंगे। शव का अंतिम संस्कार करीब एक घंटे में होगा।