उपलब्धि: हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल में बिना चीर-फाड़ के सफल वॉल्व प्रत्यारोपण (T.A.V.R)

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बीकानेर, 09 जुलाई। बीकानेर के हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल में हृदय चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है। अस्पताल में पहली बार दो अति गंभीर हृदय रोगियों का बिना ओपन हार्ट सर्जरी के सफलतापूर्वक ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (T.A.V.R) तकनीक द्वारा वॉल्व प्रत्यारोपण किया गया। इनमें से एक मरीज, 70 वर्षीय राजेंद्र कुमार श्रीमाली, पूर्व में मुंह के कैंसर की बड़ी कमांडो सर्जरी से गुजर चुके थे, जबकि दूसरी मरीज, 57 वर्षीय नानू देवी, गंभीर हार्ट फेल्योर की शिकार थीं, जिनके हृदय की पंपिंग क्षमता मात्र 20% रह गई थी। ऐसे में इन दोनों मरीजों के लिए ओपन हार्ट सर्जरी अत्यंत जोखिमभरी थी। दोनों मरीजों का वॉल्व प्रत्यारोपण पैर की नस के माध्यम से, बिना किसी चीरा लगाए, मात्र 30-35 मिनट में सफलतापूर्वक किया गया।

इस जटिल व अति आधुनिक प्रक्रिया को अंजाम देने वाली कार्डियोलॉजी टीम में शामिल थे —
डॉ. पिंटू नाहटा (विभागाध्यक्ष), डॉ. दिनेश चौधरी, डॉ. सुनील बुडानिया, डॉ. रामगोपाल कुमावत, डॉ. राजवीर बेनीवाल, लैब तकनीशियन राकेश सोलंकी एवं पंकज तंवर, नर्सिंग इंचार्ज ताहिरा बानो, और सीताराम।
इस दौरान निश्चेतना विभाग का भी विशेष सहयोग रहा।

यह प्रक्रिया जयपुर से आए डॉ. रवींद्र राव (राजस्थान हॉस्पिटल) के निर्देशन में सम्पन्न हुई। संपूर्ण संचालन हार्ट हॉस्पिटल के प्रभारी अधिकारी डॉ. देवेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में किया गया।

इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. गुंजन सोनी तथा पीबीएम अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार को भी जाता है, जिनके प्रयासों से कॉलेज से संबंधित मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं सुलभ हो पा रही हैं।

क्या है T.A.V.R.?

डॉ. पिंटू नाहटा ने बताया कि T.A.V.R. तकनीक के अंतर्गत मरीज की पैर की धमनी से बेलून द्वारा संकुचित वॉल्व को चौड़ा किया जाता है। इसके बाद उसी मार्ग से कृत्रिम वॉल्व को एओर्टा में स्थापित कर फुलाया जाता है, जिससे वह प्राकृतिक वॉल्व की तरह कार्य करने लगता है। इस प्रक्रिया से रोगी के हृदय संबंधी लक्षणों में त्वरित सुधार देखने को मिलता है। जहां बड़े निजी अस्पतालों में इस तकनीक की लागत 18 से 25 लाख रुपये तक होती है, वहीं हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल में यह इलाज आरजीएचएस योजना के तहत निःशुल्क किया जाता है।

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