


जयपुर। राज्यपाल विधानसभा सत्र मंजूरी प्रकरण में अब एक नया मोड़ आया है। राजभवन ने सत्र आहूत करने संबंधी फाइल को एक बार फिर लौटा दिया है। राजभवन ने सरकार से सत्र बुलाने को लेकर कुछ जानकारियां मांगी है। हालांकि सत्र आहूत करने को लेकर राज्यपाल ने इनकार नहीं किया है। लेकिन 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने के गहलोत के प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूर नहीं किया है। अब राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में एक बात को लेकर जिज्ञासा है कि आखिर किस आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी नहीं दी?
बसपा विधायकों के भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लग गया
वहीं इसी बीच कांग्रेस का समर्थन कर रहे 6 बसपा विधायकों के भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। मायावती ने गहलोत सरकार का समर्थन न करने का व्हिप जारी कर इन विधायकों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगाया है। कुल मिलाकर राजस्थान के राजनैतिक हालात नाजुक मोड पर आ रहे हैं। ऐसे में क्या फिर से राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है? केंद्रीय जांच एजेंसियां इस फ्रंट पर अभी भी सक्रिय है। राजभवन और गहलोत सरकार के बीच टकराव को लेकर लगातार बैठकें एवं समीक्षा हो रही है। इस दृष्टि से राजस्थान के लिए अगले 7 दिन काफी महत्वपूर्ण है।
संशोधित प्रस्ताव 7 दिन के नोटिस के साथ राजभवन भेजा था
इससे पहले राजस्थान में सियासी संकट के बीच विधानसभा सत्र बुलाने का संशोधित प्रस्ताव 7 दिन के नोटिस के साथ राजभवन पहुंचा। इसमे 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव में उल्लेख किया गया था। लेकिन अब एक बार फिर राजभवन ने सत्र आहूत करने संबंधी फाइल लौटाई है।