






बीकानेर। एक ओर तो केन्द्र व राज्य सरकार आमजन की सुरक्षा के लिये करोड़ों रूपये लगा रही है। वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों और शिक्षकों की सुरक्षा के साथ मखौल कर रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी एक आदेश है। जिसमें बोर्ड परीक्षा केन्द्रों पर शिक्षकों-कार्मिकों व विद्यार्थियों को सेनेटराईज कर प्रवेश के लिये 200 रूपये का बजट जारी किया गया है। प्रति केन्द्र के लिये जारी इस बजट में 100 से 200 जनों को सेनेटराइज करने का प्रबंध किया जाएगा। उधर संस्था प्रधानों का यह भी कहना है कि इस बजट में शेष रही राशि को किस मद में वापिस जमा करवाना है इसका अंकन नहीं होने से भी संस्था प्रधान असमजसता है। वर्तमान में जारी बजट का उपयोग भी संस्था प्रधान कर पायेंगे इसमें सन्देह है।
यह की जानी है व्यवस्था
इस बजट में स्कूल प्रबंधन को केन्द्र के परीक्षार्थियो को सक्रमंण से बचाये जाने हेतु सेनेटाइजर, साबुन, स्क्रीनिंग व अन्य सामान क्रय करने के लिए 200 तथा एक केन्द्र पर 200 से अधिक परीक्षार्थी होने की स्थिति में 300 रू का भुगतान किया जायेगा। जबकि वर्तमान में बाजार में 500 मिली की सेनिटाइजर शीशी की कीमत ही 260 से 300 के बीच है तथा साबुन की दर न्यूनतम प्रति साबुन 10 रूपये है बोर्ड द्वारा जारी बजट के अनुसार बच्चो की सुरक्षा नही अपितु केवल औपचारिकता पूर्ण कर बच्चो को सक्रमंण से सघर्ष करने के लिए पर्याप्त है। बोर्ड द्वारा जारी बजट से परीक्षा भवन का सेनेटाइजेशन तत्पश्चात परीक्षार्थिर्यों के हाथ सेेनेटाइजशन के साथ हाथ धुलाने का कार्य भी किया जाना है जो समझ के परे है।
इस निर्णय का विरोध शुरू
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा 2020 में कोविड 19 की परिस्थिति को देखते हुए जून माह में आयोजित होने वाली माध्यमिक शिक्षा की परीक्षाओं में परीक्षार्थियों एवं शिक्षकों की सुरक्षा के लिये प्रति केन्द्र 200 रू. की राशि स्वीकृत की गई। किये जाने का विरोध राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने निदेशक एवं बोर्ड अध्यक्ष को ज्ञापन भेजकर दर्शाया है। संगठन के प्रदेशमंत्री रवि आचार्य ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं के लिए वर्तमान में केन्द्रो एवं उपकेन्द्रों का निर्धारण विभाग स्तर पर किया गया है उक्त केन्द्रों पर 100 से 300 परीक्षार्थियों की एक दिन में परीक्षा ली जानी है लगभग प्रति केंन्द्र में 4 से 5 दिनों में परीक्षाएं होनी है तथा कुछ में इससे भी अधिक दिनों में अधिक संख्या के परीक्षार्थियों की परीक्षाएं आयोजित होनी है ऐसे में प्रति केन्द्र पूर्ण परीक्षाओं के लिए 200 रू की राशि आवंटन होना हास्यापद ही नहीं अपितु शर्मनाक भी है कि किस सोच के साथ राशि की स्वीकृति जारी की गयी है। आर्थिक स्थिति से मजबूत बोर्ड द्वारा परीक्षार्थियों की सुरक्षा को लेकर मजाक बनाया गया है। संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार की हर एडवाइजरी एवं जिला प्रशासन के प्रत्येक निर्णय का साथ देने वाले शिक्षक का नाम कोरोना वारियर्स की श्रेणी में नही लिया जाना न्यायोचित नही कहा जा सकता। आचार्य ने बताया कि कोविड 19 के तहत शिक्षकों के समक्ष आये दिन कोई न कोई चेलेन्ज आता रहा है इसी कडी में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा वर्तमान में स्थिति यह है कि प्रति छात्र 25 पैसे से 50 पैसे तक की ही व्यवस्था किया जाना देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है।बोर्ड द्वारा जारी बजट एवं निर्देशानुसार कोविड 19 के तहत सक्रमण बचाव हेतु परीक्षा भवन सेनिटाइजर के उपरान्त बच्चो के हाथ धुलवाते हुए सेनिटाइज किया जाना है उक्त राशि से व्यवस्था करना भी शिक्षको के सामने चुनौती बन गया है। बोर्ड के निर्देशानुसार होने वाली व्यवस्थाओं को सम्बन्धित केन्द्राधीक्षक के समक्ष डालकर चुनौती दी गयी है उक्त चुनौती का सामना करने के लिए शिक्षकों को अपनी जेब से,भामाशाहो के सहयोग अथवा अन्य संसाधनो के माध्यम से अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए कार्य करवाने की चुनौती को पूर्ण करना होगा। प्रदेशमंत्री आचार्य ने शिक्षामंत्री,बोर्ड अध्यक्ष तथा निदेशक से आग्रह किया है कि परीक्षार्थियो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नही़ हो तथा केन्द्राधीक्षकों पर उक्त कार्य को पूर्ण करने को लेकर कोई दबाब नही बने इस हेतु जारी बजट की समीक्षा करते हुए संशोधित पर्याप्त बजट का प्रावधान करवाये।