


बीकानेर, 24 जून। राजस्थान पुलिस ने लेन-देन और अचल संपत्ति से जुड़े मामलों में कार्रवाई की प्रक्रिया को लेकर सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब ऐसे मामलों में दस्तावेज जब्त करने या आरोपी को गिरफ्तार करने से पूर्व संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक (SP) से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
पुलिस महानिदेशक द्वारा सभी जिलों को जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि आर्थिक अपराधों या संपत्ति विवादों में अगर बैंक खाता सीज़ करना हो, तो पूरा खाता फ्रीज करने की बजाय केवल विवादित राशि को होल्ड किया जाए, ताकि खाताधारक को अनावश्यक परेशानी न हो।
प्राथमिक जांच होगी अनिवार्य
सिविल स्वरूप के मामलों में, जहां संज्ञेय अपराध सीधे तौर पर प्रमाणित नहीं होता, वहां 14 दिनों के भीतर प्राथमिक जांच की जाएगी। इसके बाद जांच रिपोर्ट डीएसपी स्तर के अधिकारी को सौंपी जाएगी, जो यह निर्णय लेंगे कि FIR दर्ज होनी चाहिए या नहीं। अंतिम मंजूरी SP स्तर से दी जाएगी।
आयकर विभाग को अनिवार्य सूचना
यदि जांच में यह तथ्य सामने आता है कि किसी संपत्ति लेन-देन में ₹2 लाख या उससे अधिक की नकद राशि का लेन-देन हुआ है, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, आयकर विभाग के नोडल अधिकारी को इसकी सूचना देना अनिवार्य होगा।
कठोर अनुपालन के निर्देश
पुलिस अधिकारियों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं, जिससे जांच प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी रूप से मजबूत हो सके।