भाव विभोर हुए कलक्टर, गोद में लेकर किया दुलार

Emotional collector, cherished in his lap
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बीकानेर। जिला कलक्टर नमित मेहता ने शुक्रवार को मुख्यालय स्थित शिशु, बालिका गृह, नारी निकेतन, सेवाश्रम और किशोर गृह का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस अवसर पर जिला कलक्टर ने बालिका गृह के लिए बनाए गए ‘उड़ान सदनÓ की सराहना करते हुए कहा कि उड़ान सदन बेसहारा बच्चियों के सपनों की उड़ान को पूरा करने के लिए बेहतर स्थान है। उन्होंने कहा कि उड़ान सदन में रह रही बच्चों एवं बच्चियों के लिए घर जैसी व्यवस्थाएं उपलब्ध करवाई गई है। यहां आवासित बच्चियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है और इसकी झलक इन बच्चियों द्वारा जिला कलक्टर से बात करते और व्यवहार में स्पष्ट झलक रहा था। सदन में बच्चियों से मुलाकात करते हुए मेहता ने कहा कि यहां बेहतरीन तरीके से बच्चियों के रहने की व्यवस्था की गई है। साथ ही उनकी शिक्षा और सह शैक्षणिक गतिविधियों के लिए भी पूरे इंतजाम किए गए हैं यह एक सराहनीय पहल है।
बड़ी होकर क्या बनोगी
जिला कलक्टर ने बच्चियों से उनके नाम और शिक्षा पूछी। बच्चियों ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अपना नाम, स्कूल और कक्षा की जानकारी दी। बच्चियों ने यहां रहते हुए सभी तरह की सुविधाएं मिल रही है। उन्होंने बच्चों से पूछा कि वे बड़े होकर क्या बनना चाहती है? बच्चों ने अपनी रूचि के अनुसार जवाब दिए। जिला कलक्टर ने कहा कि अच्छा पड़ें, खेलें और अपने संरक्षक का कहना मानें। उन्होंने कहा कि आपकी सुविधा के लिए प्रशासन हर संभव मदद करेगा, यदि आपको कोई दिक्कत होती है तो आप तुरंत बताएं।
भाव विभोर हुए कलक्टर, गोद में लेकर किया दुलार
बालिका गृह में एक आवासित छोटी बच्ची को देखकर जिला कलक्टर भाव विभोर हो गए और उसे गोद में लेने से खुद को नहीं रोक पाए। छोटी सी बच्ची भी जिला कलक्टर की गोद में जाने को मचल उठी। मेहता ने आगे बढ़कर केयर टेकर की गोद से बच्ची को अपनी गोद में लेकर दुलार किया। बच्ची ने अपने नन्हें हाथों से जिला कलक्टर का चश्मा उतारने के लिए कोशिश की। सहायक निदेशक कविता स्वामी ने बताया कि जब इस बच्ची को शिशु गृह में जब लाया गया तब यह ग्लूकोमा से पीडि़त थी। बच्ची का जोधपुर स्थित एम्स में नियमित इलाज करवाया गया और अब बच्ची का विजन आ गया है और यह यहां स्टाफ से काफी घुलमिल गई है। नमित ने अधिकारियों के प्रयास की सराहना करते हुए इस बच्ची का पूरा ध्यान रखने की हिदायत दी।
क्रिएटिविटी को मिले नई पहचान
निरीक्षण के इस दौरान जिला कलक्टर मेहता को नारी निकेतन और बालिका गृह में आवासित बच्चियों द्वारा बनाए गये (मास्क,बैग आदि) सहित विभिन्न प्रकार का सामान दिखाया गये गए। बाल अधिकारिता की सहायक निदेशक कविता स्वामी ने बताया कि सदन में रह रही बच्चियां अपनी क्रिएटिविटी के जरिए मास्क भी बना रही है। साथ ही नारी निकेतन में आवासित महिलाओं द्वारा, बैग, लैंप, सजावटी थाली सहित कई हैंड मेड वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। इस पर उन्होंने कहा कि इस सामान के विपणन के लिए भी व्यवस्था की जाए। ऐसा होने से इन बच्चियों का कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा।
किया नारी निकेतन का अवलोकन
जिला कलक्टर ने इस दौरान नारी निकेतन में आवासित महिलाओं से बातचीत की और उनके रहने, खाने आदि व्यवस्थाओं को नजदीकी से देखा। जिला कलक्टर ने कहा कि वे संतुष्ट है कि सभी व्यवस्थाएं दुरूस्त है। लेकिन खाने की नियमित गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने परिसर में ही विशेष श्रेणी के बच्चों के लिए बने सेवा आश्रम में भी अवलोकन कर वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने सेवा आश्रम में किचन और भंडार गृह का भी अवलोकन किया। साफ सथुरे किचन को देखकर जिला कलक्टर काफी संतुष्ट नजर आए। मेहता ने कहा कि सभी गृहों में रह रहे बच्चों के खाने की गुणवत्ता में कोई समझौता ना हो। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाएं ही इन बच्चों की उम्मीदें है इसलिए यहां का प्रबंधन देख रहे अधिकारी इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चों की छोटी से छोटी जरूरतों का ख्याल रखा जाए और उनकी हेल्थ को लेकर विशेष सावधानी बरतें। मेहता ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर यदि किसी बच्चे में कोई लक्षण पाया जाता है तो उसे तुरंत चिकित्सक की सलाह के लिए भेजा जाए और जांच करवाएं। निरीक्षण के दौरान जिला कलेक्टर मेहता ने स्वयं सैनिटाइजेशन के प्रोटोकॉल की पूरी अनुपालना की।
किशोर गृह पहुंचे मेहता
जिला कलक्टर इस दौरान किशोर गृह पहुंचे और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा किशोर गृह में रखे गए बच्चों से मुलाकात कर व्यवस्थाओं की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि किशोर गृह में 18 वर्ष से ऊपर के व्यस्क को अलग रखा जाए साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि संबंधित बालक का केस जब तक पूर्ण नहीं हो और उसे किशोर गृह में रखना पड़े तो उसके लिए समस्त व्यवस्थाएं पृथक से की जाए। जिससे वह नियमित रूप से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के संपर्क में नहीं आए। उन्होंने कहा कि व्यस्क और बच्चे के बीच मानसिक स्तर अलग अलग होता है इसके मद्देनजर अलग से व्यवस्था किए जाने की जरूरत है।
समय का बेहतर करें उपयोग
जिला कलक्टर ने किशोर गृह में आवासीय 17 बच्चों से बातचीत की और कहा कि वे जब तक यहां रहते हैं समय का बेहतर प्रबंधन करें। सुबह उठकर योग आदि करें तथा जो किचन गार्डन है वहां पर कार्य करते हुए स्वयं के लिए अच्छी सब्जियां उगाएं। साथ ही की बच्चे अंग्रेजी, गणित और विज्ञान भी नियमित रूप से पड़ें। इसके लिए उन्होंने किशोर गृृह के डॉ अमित आचार्य से कहा कि शिक्षा और योग के साथ-साथ इन्हें परिसर में ही बने आउटडोर खेल से भी जोड़ा जाए ताकि इनके मानसिक स्तर में गुणात्मक सुधार आए। अगर सभी बच्चे नियमित रूप से योग,शिक्षा, खेल आदि से जुड़े रहेंगे तो यहां से जाने के बाद एक बेहतर जीवन जी सकेंगे। इसके साथ ही इनके मनोरंजन के लिए टीवी लगाई जाए अगर जरूरत हो तो एक अतिरिक्त टीवी किशोर गृह में शीघ्र ही लगाई जाए। इस दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक एल डी पंवार सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।

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