


बीकानेर। जिले के गजनेर थाना क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे प्रशासन में हडक़म्प मच गया है। भरतपुर का एक व्यक्ति जो पिछले कुछ समय से गजनेर में एक किराए के मकान में रहकर निजी क्लिनिक चला रहा था और इसके साथ उसने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर दिखाकर गजनेर सीएचसी में नौकरी करने लगा। इस फर्जीवाड़े की भनक डिर्पाटमेंट को भी नहीं लगी और ना ही उसके दस्तावेजों की पूर्णतया जांच की गई। वेतन के लिए प्रभारी से मिलने पर नियुक्ति संबंधित जरूरी दस्तावेज मांगने पर सच सामने आया। इस पर प्रभारी ने गजनेर थाने में मामला दर्ज कराया।
ये है मामला
जिले में मई में 700 जीएनएम की अस्थाई भर्ती हुई थी। उस दौरान भरतपुर का रोहिताश गजनेर सीएचसी का ज्याइनिंग ऑर्डर लेकर प्रभारी के पास पहुंचा। ऑर्डर देख प्रभारी ने जॉइन करा लिया। उसके दस्तावेजों की जांच नहीं की गई। क्योंकि वह सीधे ज्याइनिंग लेटर लेकर आया था। फर्जीवाड़ा गुरुवार को उस वक्त सामने आया जब वह अपने वेतन के लिए प्रभारी से मिला। वेतन बनाने के लिए उससे नियुक्ति संबंधी जरूरी दस्तावेज मांगे तो उसने नहीं दिए। युवक पर संदेह होने पर प्रभारी ने गजनेर थाने में फर्जी तरीके से नौकरी लगाने का मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने कुछ ही देर बाद उसे गिरफ्तार कर लिया। युवक गजनेर थाना क्षेत्र के ही मेघासर गांव में डेढ़ साल से श्रीरूपसिंह जी के नाम से क्लिनिक चला रहा है। उसके बोर्ड पर खुद को प्रोफेसर बता रखा है। वह दिन में क्लिनिक में और रात में सीएचसी में मरीजों को देखता था।
भरतपुर से आया फर्जीवाड़ा करने
आरोपी रोहिताश भरतपुर का रहने वाला है। वहां उसकी जान पहचान मेघासर के एक व्यापारी से हुई थी। खुद को डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी बताकर उसने काम की आवश्यकता जाहिर की तो व्यापारी ने मेघासर में क्लिनिक खोलने का सुझाव दिया। युवक ने मेघासर पहुंच कर एक मकान किराए पर ले लिया ओर प्राइवेट क्लिनिक शुरू की। डेढ़ साल से उसकी क्लिनिक चल रही थी। इसी दौरान उसने गजनेर सीएचसी में जीएनएम की नौकरी हासिल कर ली। सीएचसी प्रभारी दुर्गावती ने बताया कि दस्तावेज मांगे जाने पर आरोपी ने टालमटोल किया तो शक हुआ। सीएमएचओ कार्यालय में इसकी ज्वॉइनिंग के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन उसके दस्तावेज कार्यालय में नहीं मिले। फाइल में आवेदन तक नहीं मिला।
सीएमएचओ कार्यालय में दस्तावेज तक नहीं
गजनेर सीएचसी में एक युवक छह महीने से जीएनएम की नौकरी कर रहा था, लेकिन सीएमएचओ कार्यालय में उसके दस्तावेज तक नहीं हैं। सीएमएचओ कार्यालय की इस लापरवाही से 700 जीएनएम की भर्ती पर भी संदेह जताया जा रहा है। सीएमएचओ का कहना है कि सभी दस्तावेजों की जांच की जाएगी।