‘गौमाता प्राणी मात्र के लिए ईश्वर का साक्षात वरदान हैÓ

'Gaumata is a mere blessing of God for mere beings'.
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बीकानेर। बीकानेर गोशाला संघ ने दो दिवसीय गोपाष्टमी महोत्सव के समापन के अवसर पर गो पूजन व महाआरती व गौ महात्मय पर प्रवचन किया गया। स्थान- तुलसी गौशाला तुलसी सर्किल बीकानेर में द्वितीय दिवस के आयोजन के अवसर पर गो महत्मय के मुख्य वक्ता टेकचंद बरडिया थे। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य वक्ता टेकचंद बरडिया जी ने कहा कि मानव जीवन में गोवंश का प्रभाव उसी तरह है जिस तरह मानव जीवन में धरती, आकाश, वायु, जल, आदि पांच तत्व का है, सनातन धर्म को बचाने के लिए गौ माता, हमारी शिक्षा, हमारी संस्कृति, हमारे जीवन मूल्यों को बचाना बहुत जरूरी है यह कार्य हमारी आज की वर्तमान पीढ़ी कर सकती हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कहा कि गौमाता प्राणी मात्र के लिए ईश्वर का साक्षात वरदान है, मानव जीवन में यदि गौ माता का स्थान रिक्त हो जाए तो जीवन की जो स्वास्थ्य की कल्पना है, पर्यावरण की कल्पना है, वह समाप्त हो जाएगी। राजगुरु महामंडलेश्वर विशोकानंद जी भारती ने कहा कि मानव जीवन प्रत्येक प्राणी के लिए बना है, उन सब में सहायक होने के लिए गौ माता की सेवा, सुरक्षा बहुत जरूरी है, ईश्वर ने भी गौ माता को देवताओं से भी बड़ा माना है, हम सभी सनातन धर्म को मानने वालों को गौ माता को उन्हें अपने में घरो में पुन: प्रतिष्ठित करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय सह गौरक्षा प्रमुख सूरजमालसिंह नीमराना ने कहा कि भारतीय देसी गोवशं एक राष्ट्रीय धरोहर है, यह मानव मात्र के लिए सबसे अधिक उपयोगी है, आज गोपाष्टमी का पर्व गोवंश के प्रति मानव मात्र का कृतज्ञता प्रकट करने का दिवस है, गोवंश के द्वारा जो मानव को दिया जाता है, गौ माता के सब उपकार के लिए, आज हम गौ माता की पूजा करके, उनकी के प्रति कृतज्ञ होकर, आभार व्यक्त करते है। गोवंश का मानव जीवन में प्रभाव के कारण ही, भगवान श्री कृष्ण ने, देवताओं ने, गौ माता की पूजा करके उनका आभार व्यक्त किया था। कार्यक्रम का संचालन अरविंद उभा अध्यक्ष श्री हिंदू तख्त राजस्थान ने किया, कार्यक्रम का संयोजन शीशपाल गिरी गोस्वामी ने किया। पार्षद अनूप गहलोत ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। बैठक में ओमप्रकाश सोनगरा, शिवाजी आहूजा, प्रेम सिंह घुमान्दा, सरवन सिंह राठौड़, चांदवीर सिंह, किशोर सिंह जोगणिया, सुशील कुमार सुथार, लाभुराम जी विश्नोई विशाल सिंह, सत्यनारायण स्वामी डूंगरगढ़, विशाल स्वामी डूंगरगढ़, बैरीसाल सिंह, उमाशंकर सोलंकी, मनोज स्वामी, रणवीर सिंह रावतसर, मानसिंह जांगलू, चंद्र स्वामी ,अशोक उभा, विजय सिंह चारण, रविराज सिंह नीमराना ने भाग लिया।

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