


बीकानेर। “प्रेम एक सुंदर भावना है, पर जब वह दोषपूर्ण निर्णयों, दबावों और मानसिक असंतुलन से जुड़ जाए, तो यह सबसे भयावह रूप भी ले सकता है।”
हाल के वर्षों में हमारे समाज में एक खतरनाक प्रवृत्ति उभर रही है—विवाह के भीतर या बाहर प्रेम संबंधों के चलते जीवनसाथी की हत्या। यह न केवल कानून और सामाजिक मूल्यों की हत्या है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में गहरी लापरवाही का परिणाम भी है।
NCRB रिपोर्ट की भयावह तस्वीर:
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार:
2022 में कुल 28,522 हत्याओं में से लगभग 2,400 हत्याओं का कारण प्रेम संबंध (love affairs) रहा।
प्रेम संबंध हत्या के तीसरे सबसे आम कारण के रूप में दर्ज हैं (NCRB 2022)।
कर्नाटक में 2024 के पहले आठ महीनों में 161 मामलों में spouse या lover की हत्या हुई—ये कुल हत्याओं का 23% हिस्सा हैं।
[12/06, 13:52] Digeshwar Khulasa: हालिया मामले जो रूह कंपा देते हैं:
मार्च 2025, जयपुर: गोपाली देवी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति धनलाल सैनी की लोहे की रॉड से हत्या की। घटना CCTV में रिकॉर्ड हुई।
मार्च 2025, औरैया: नवविवाहिता प्रगति यादव ने शादी के 15 दिन बाद ही अपने पति की हत्या पूर्व प्रेमी की मदद से करवा दी।
मई 2025, मेघालय: सोनम रघुवंशी ने अपने पति राजा की हत्या हनीमून ट्रिप पर की, जिसमें उसका प्रेमी और अन्य दोस्त भी शामिल थे।
जनवरी 2025, नूंह (हरियाणा): शक के चलते एक युवक ने अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी।
ऐसा क्यों हो रहा है?
Psychological and Emotional Triggers:
Jealousy & Suspicion: अविश्वास और संदेह विवाह को भीतर से खोखला कर देते हैं।
Suppressed Emotions: पारिवारिक दबाव और जबरन विवाह से पैदा हुई कुंठा दूसरों में भावनात्मक सहारा ढूंढने की प्रवृत्ति बढ़ाती है।
Forced Marriage: पारिवारिक सामाजिक प्रतिष्ठा के नाम पर जब व्यक्ति की मर्ज़ी को अनदेखा कर शादी की जाती है, तो मानसिक प्रतिरोध विकसित होता है।
Emotional Attachment with Others: पूर्व प्रेमी से जुड़ाव या ongoing affair कभी-कभी व्यक्ति को अपराध की हद तक धकेल देता है।
यह मानसिक स्वास्थ्य की बड़ी चेतावनी है
हमारे मानसिक स्वास्थ्य तंत्र में Pre-Marital Counselling, Post-Marital Therapy और Family Counselling जैसी सेवाओं की उपलब्धता तो है, पर उपयोगिता और पहुंच बेहद सीमित है।
यह समय है कि हम गंभीरता से समझें:
मानसिक असंतुलन (emotional instability) कैसे रिश्तों को खतरनाक मोड़ पर ले जाता है।
विवाह से पहले और बाद में कैसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति का आकलन आवश्यक है।
पारिवारिक निर्णयों में emotional compatibility और psychological readiness को प्राथमिकता देना कितना ज़रूरी है।
अभिभावकों की भूमिका भी कटघरे में
कई बार माता-पिता या परिवार वाले समाजिक प्रतिष्ठा (social image), जातीयता (caste), या वित्तीय स्थिति के कारण जबरन विवाह करवा देते हैं। ऐसे विवाहों में न प्रेम होता है, न सामंजस्य। इसके फलस्वरूप व्यक्ति या तो मानसिक रूप से टूटता है, या फिर विवाह को समाप्त करने के लिए कोई भी कदम उठा सकता है—even murder।
समाधान क्या है?
Pre-Marital Counselling को अनिवार्य किया जाए—जहां दोनों पक्षों की मानसिक तैयारी, विश्वास और भावनात्मक जुड़ाव का मूल्यांकन हो।
Post-Marital Therapy को stigmatize न करें, बल्कि इसे marriage का हिस्सा बनाएं।
Family Counselling & Therapy को पंचायतों, ब्लॉक स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों, और NGOs से जोड़ा जाए।
Emotional & Psychological Education को युवाओं के लिए पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए।
आज जब विवाह संबंध टूटने की दर बढ़ रही है, और विवाह को लेकर सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक दबाव कई गुना अधिक हो गए हैं, यह ‘high time’ है कि हम emotional intelligence, mental health awareness, और counselling interventions को शादी जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक संस्थान से जोड़ें।
हमें यह याद रखना चाहिए कि प्रेम एक भाव है, परंतु बिना समझदारी के लिया गया कोई भी कदम किसी का जीवन ही नहीं, पूरा परिवार तबाह कर सकता है।
डॉ. तुलसी गिरि गोस्वामी(Family Counsellor & Therapist)Founding Advisor, Satya Institute of Mental Health & Neurosciences (SIMHANS)
डॉ. प्रकाश गिरि(Clinical Psychology)North Western Railway Hospital, Bikaner