


बीकानेर। फिजियोथेरेपी को स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक मान्यता मिली है, जिससे इस पेशे की गरिमा को नया आयाम मिला है। यह निर्णय पूरे देश के फिजियोथेरेपिस्ट समुदाय के लिए ऐतिहासिक है। अब फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के साथ ‘डॉ.’ का उपसर्ग और ‘पीटी’ का प्रत्यय लगा सकेंगे, जिसे सरकार ने आधिकारिक मान्यता दी है।राष्ट्रीय संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल आयोग (एनसीएएचपी) द्वारा जारी फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम पुस्तिका में यह अधिकार दर्ज किया गया है। पुस्तिका के पृष्ठ 29 पर स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि योग्य फिजियोथेरेपिस्ट अब अपने नाम के साथ ‘डॉ.’ और ‘पीटी’ का उपयोग कर सकते है.इस निर्णय का उद्देश्य फिजियोथेरेपी पेशे को गरिमा और मान्यता प्रदान करना है, साथ ही आम जनता के बीच इसकी महत्ता को रेखांकित करना है। यह अधिकार केवल उन फिजियोथेरेपिस्टों को मिलेगा जिन्होंने मान्यता प्राप्त संस्थान से फिजियोथेरेपी में डिग्री प्राप्त की है।हम एनसीएचएपी की अध्यक्ष डॉ. यज्ञ उन्मेष शुक्ला को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं।बीकानेर फिजियोथेरेपी समूह ने इस निर्णय का स्वागत किया है। वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. लक्ष्मण राजपुरोहित ,डॉ. महेंद्र चौधरी, डॉ. कपिल गोम्बर, , डॉ. मयंक खत्री और डॉ. कनिका अग्रवाल ने कहा कि यह केवल एक उपसर्ग नहीं है, बल्कि वर्षों की मेहनत, संघर्ष और समर्पण का सम्मान है।
डॉ. भरत खत्री और डॉ. अमित पुरोहित ने कहा कि यह निर्णय न केवल फिजियोथेरेपी पेशे को सम्मान दिलाएगा, बल्कि इसकी उपयोगिता और आवश्यकता को भी आम नागरिकों के बीच रेखांकित करेगा। डॉ. अपूर्वा बिस्सा ने कहा कि यह कदम फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका को सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।