


बीकानेर। बीकानेर जिले में नहरबंदी के दौरान पानी की किल्लत दूर कर आमजन तक पहुंचाने के लिए 940.40 लाख रुपए खर्च होंगे। पीएचईडी ने कार्ययोजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी थी जिसे मंजूरी मिल गई है। 28 मार्च से 60 दिन की नहरबंदी रहेगा और बीकानेर जिले को पानी नहीं मिल पाएगा। पीएचईडी विभाग ने इस दौरान पानी की किल्लत को दूर कर शहर और ग्रामीण इलाकों में आमजन तक सप्लाई के लिए 940.40 लाख रुपए की कार्ययोजना बनाकर सरकार को भेजी जिसे मंजूर कर लिया गया है। अगले महीने 28 मार्च से नहरबंदी को देखते हुए पीएचईडी के तीन खंडों की तहसीलों में नहर में पानी रोकने के लिए बंधे लगाने, रुके पानी को लिफ्ट कर स्टोर करने के लिए बरमे लगाने, नए 19 शेलो ट्यूबवेल (उथले कुएं) बनाने, पिछले साल बनाए 14 शेलो ट्यूबवेल की मरम्मत सहित अनेक कार्यों के टेंडर भी हो गए हैं और जल्दी की वर्क आर्डर कर काम शुरू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि 30 दिन आंशिक और 30 दिन पूर्ण नहरबंदी होगी और इस दौरान गांवों के 854 गांवों में से 535 गांवों के 9 लाख और शहर में 8 लोग लोग प्रभावित होंगे। हालांकि, आंशिक नहरबंदी में घरों में पानी सप्लाई जारी रहेगी, लेकिन पूर्ण नहरबंदी में एकांतर पानी मिलेगा।
कैसे खर्च होंगे 9.40 करोड़ रुपए
40 बंधे लगाने के 6 कार्यों पर 14.51 लाख रु.
8 बरमे लगाने के 8 कार्यों पर 185.56 लाख रु.
उथले कुएँ की मरम्मत के 9 कार्यों पर 230.70 लाख रु.
नए उथले कुएँ बनाने के 14 कार्यों पर 509.63 लाख रु.
कहां, किस तहसील में होगा काम
नहर में पानी जमा करने के लिए 40 बंधे लगेंगे
जिला ग्रामीण खंड प्रथम की लूणकरणसर और छत्तरगढ़ तहसील में।
जिला ग्रामीण खंड द्वितीय की पूगल और खाजूवाला तहसील। में। इसी खंड की बीकानेर तहसील के बदरासर और जामसर में
पानी को 8 बरमे लगा लिफ्ट कर स्टोर करेंगे
पीएचईडी के तीनों खंडों की इन्हीं तहसीलों में।
जहां कम गहराई करीब 100 से 300 फीट पर पानी है वहां पिछले साल बने 9 शेलो ट्यूबवेल की मरम्मत।
पूगल, छत्तरगढ़, खाजूवाला, बीछवाल, शोभासर में 14 नए ट्यूबवेल बनाना।
10 जिलों के 1.70 करोड़ लोगों की प्यास बुझाती है इंदिरा गांधी नहर
इंदिरा गांधी नहर परियोजना से राज्य में 10 जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर में 49 शहरी और 7500 गांवों में रहने वाले 1.70 करोड़ लोगों की प्यास बुझती है।
इंदिरा गांधी फीडर की आकल्पित क्षमता 18500 क्यूसेक है। पिछले 62 सालों में नहर प्रणाली में रखरखाव की कमी के कारण यह क्षमता 11500 क्यूसेक रह गई है। नहर क्षतिग्रस्त होने की स्थिति बढ़ती जा रही है। नहर की क्षमता को फिर से पहले की तरह बनाना और रिसाव कम करना जरूरी हो गया है।
पूर्व में नहरबंदी के दौरान बीरधवाल तक जगह-जगह नहर में रुका पानी पीएचईडी को देकर पांच दिन सप्लाई की व्यवस्था कर दी जाती थी, लेकिन इस बार कंवरसेन लिफ्ट की मरम्मत चलने के कारण ढाई दिन का पानी ही मिल पाएगा। इसके लिए हुसंगसर से टेल 496 आरडी तक करीब 10 किमी पानी जमा होगा जो पीएचईडी को मिलेगा। नहर में कम पानी जमा होने के कारण बीकानेर और लूणकरणसर के लोग प्रभावित होंगे। नहरबंदी में पानी की व्यवस्था कर आमजन तक सप्लाई के लिए प्रशासन और नहर विभाग से समन्वय कर अभी से प्लानिंग की जा रही है।