


बीकानेर। बरसात के मौसम में रेल पटरियों और सिग्नलिंग उपकरणों के आसपास जलभराव एवं रिसाव के कारण सिग्नल और ट्रैक सर्किट की विफलता से रेल यातायात बाधित होता है। उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा इस समस्या की रोकथाम हेतु मानसून के दौरान सिग्नल प्रणाली की सुरक्षा के लिए विस्तृत मानकों का निर्धारण किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ एवं व्यवस्थाएँ:
- जलभराव रोकथाम:
- नालियों की सफाई और जल निकासी की समुचित व्यवस्था।
- रिले रूम, केबिन आदि की मरम्मत और सीलिंग।
- तकनीकी उन्नयन:
- 46 स्टेशनों के यार्ड में MSDAC (Multi Section Digital Axle Counter) की स्थापना।
- 10 अन्य स्टेशनों के लिए स्थापना की स्वीकृति प्राप्त।
- MSDAC से ट्रैक सर्किट फैल होने पर भी ट्रेनों का संचालन संभव होता है।
- इंसुलेशन एवं फ्यूज प्रणाली:
- सभी उपकरणों की इंसुलेशन की जांच और आवश्यकता अनुसार प्रतिस्थापन।
- PPTC (Polymeric Positive Temperature Coefficient) स्वतः बहाल होने वाले फ्यूज लगाए गए।
- ट्रैक फीड चार्जर फैल्योर अलार्म की व्यवस्था।
- अन्य संरचनात्मक सुधार:
- जंक्शन बॉक्स की ऊँचाई बढ़ाई गई, विशेषकर पूर्व जलभराव वाले स्थानों पर।
- पॉइंट्स मोटर्स की सीलिंग, ग्रीसिंग और ऑयलिंग की जांच।
- पुनः जांच और मॉक ड्रिल:
- पहली वर्षा के बाद सभी सिग्नल इकाइयों की दोबारा जांच अनिवार्य।
- रिले रूम, पैनल रूम, बैटरी रूम की छतों पर जल एकत्र न हो, इसके लिए उपाय।
- समय-समय पर मॉक ड्रिल आयोजित।
- आपातकालीन तैयारी:
- अतिरिक्त रात्रिकालीन स्टाफ व वाहन तैनात।
- पर्याप्त स्टॉक में अतिरिक्त केबल व उपकरण।
- उपकरणों की अर्थिंग एवं लाइटनिंग प्रोटेक्शन सुनिश्चित।
- संचार उपकरणों की सुरक्षा:
- OFC, टेलीफोन आदि संचार माध्यमों की भी विशेष जांच।