बीकानेर की इस अस्पताल की महिला डॉक्टर व स्टाफ पर उपचार में लापरवाही बरतने का आरोप

Police tightens its back against illegal arms and drug smugglers
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बीकानेर। इलाज में लापरवाही के चलते गर्भवती महिला की पेट की आंते डेमेज कर देने का मामला सामने आया है। इस सम्बंध में न्यायालय ने नयाशहर पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए है। इस सम्बंध में परिवादी राजेश बागड़ी ने सुनवाई नहीं होने पर न्यायालय की शरण ली। परिवादी की तरफ से अधिवक्ता हनुमान सिंह पडि़हार ने पैरवी की। जिस पर न्यायालय ने पुलिस को धारा 336, 337, 338 के तहत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए है। परिवादी की ओर से बताया गया है कि उसकी पत्नी गर्भवती थी। इसी दौरान परिवादी ने आर्शीवाद नर्सिग होम में 26 मई को दिखाया। जहां पर डॉ. मिनाक्षी गोम्बर ने परिवादी को बताया कि 21 अगस्त को डिलीवरी होनी है। जिसके बाद परिवादी ने कई बार चैकअप करवाया तो मिनाक्षी ने बताया कि गर्भवती महिला स्वस्थ है। जिसके बाद 12 अगस्त को डॉक्टर ने बताया कि उसकी कल ही सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ेगी अन्यथा गर्भवती और बच्चे दोनो को खतरा हो सकता है। परिवादी द्वारा गोम्बर को कहा गया कि आपने तो दस दिन के बाद की तारीख बतायी थी। जिस पर डॉक्टर नाराज हो गयी। जिस पर परिवादी हक्का-बक्का हो गया और पैसे की व्यवस्था कर डिलीवरी करवायी। 13 अगस्त को डिलीवरी के बाद महिला को पुत्र हुआ और जैसे-जैसे एनसथिसिया का असर खत्म हुआ तो महिला को पेट में भंयकर दर्द होना शुरू हो गया। इस पर परिवादी ने डॉ. गोम्बर को बुलाया लेकिन डॉ. ने गंभीरता से नहीं लिया। जिसके बाद महिला की सांसे उखडऩे लगी। ऐसी स्थिति में डॉ. ने महिला को कोरोना बताकर पीबीएम रैफर कर दिया। पीबीएम जांच करवाने पर कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आयी और स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो महिला को जयपुर भर्ती करवाया गया। जहां पर महिला की जांचे की गयी तो पता चला कि सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट की आंते डेमेज कर दी गयी है। जिसके कारण पूरे शरीर में गंदा पानी फैल गया। जिस पर पुन: ऑपरेशन किया गया और महिला अब भी बेड रेस्ट पर है। इस पर न्यायालय ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिया है।

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