


बीकानेर। जनप्रतिनिध का मतलब जनसेवा से होता है। लेकिन अब शायद इसके मायने बदल गये है। जनप्रतिनिधि बनकर अब पार्षद या अन्य नेतागण दादागिरी कर अपने रूतबे के चलते अपने पड़ौसियों को धराने धमकाने से बाज नहीं आते। ऐसा ही एक मामाला वार्ड 63 के पार्षद अशोक कच्छावा का सामने आया है। जिसमें अपने घर का अवैध तरीके से निर्माण करवा लिया है। जब इस बात का उलेहना उसके पड़ौसी ने उसे दिया तो उसको कानून और अपनी पहुंच का हवाला देकर धमकाया। जानकारी मिली है कि सौरभ महात्मा का एक मकान गोगागेट बाहर स्थित केशूजी टाल पीछे मालियां मोहल्ल्ले में बना हुआ है। जहां महात्मा के मकान की दीवार में अपनी बालकोनी का एंगल एवं दीवार का एक एंगल मेरी दीवार में तोड़कर डाल दिया है्र। जब उसे ऐसा करने से रोका तो अशोक ने मारने व निगम में उनके बोर्ड होने की बात कहते हुए तेरी कोई नहीं सुनने की बात तक कही।
महापौर- आयुक्त तक है मामला संज्ञान में,फिर भी कार्यवाही नहीं
मजे की बता तो यह है कि शहर में अवैध कब्जे की कार्यवाही रोकने के दावे करने वाली महापौर व भाजपा के आलाधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद ाी ााजपाई चुप्पी साधे हुए है। जो इस बात का संकेत देता है कि इस प्रकार की कार्यवाही में कही न कही भाजपाई अपने ऐसे पार्षदों को बढ़ावा दे रही है। मंजर यह है कि अशोक चुनाव के दौरान ाी रूपये बांटने के मामले में विवादों में रहे है।
आखिर कौन सुनेगा परिवादियों की
हालात यह है कि जन्रपिितिनधियों के ऐसे कर्मकांड की शिकायतें निगम व जिला प्रशाासन के पास में खूब आई हुई पड़ी है। किन्तु उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में आखिर परिवादी किसके पास जाकर न्याय का दरवाजा खटखटाएं।जबकि सारा प्रकरण,केन्द्रीय मंत्री अर्जुनरामेघवाल,संबंधित पुलिस थाना,महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित,आयुक्त नगर निगम व जिला प्रशासन के आलाधिकारियों के साथ भाजापा के आलाधिकारियों को भी यह प्रकरण ध्यान में है। किन्तु कोई भी परिवादी को न्याय दिलाने तथा गुड़ागर्दी करने वाले ऐसे पार्षदों पर शिकंजा क्यों नहीं कस रही है। ऐसे पार्षद पार्टी की छवि धूमिल करने में लगे है।