


निखिल चावला
बीकानेर। लीकर शॉप्स को अनलॉक करते समय जिस तेजी से आबकारी महकमे ने खास प्रबंध किए थे वे व्यवस्थाएं कुछ ही दिनों में दाखिले दफ्तर हो गई। इन खास व्यवस्थाओं से ठेकेदारों के चांदी काटने पर लॉक लग रहा था। ऐसे में इन प्रबंधों को ही लॉक लगा दिया गया। आबकारी महकमे ने शहरी क्षेत्र की दुकानों पर कोविड-19 की पालना को पुख्ता बनाने के लिए गार्ड लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन यह प्लान फलीभूत नहीं हो पाया। महकमे ने जिस तेजी से गार्ड लगाए गए थे, उसी गति से उनको वापसी का रास्ता भी दिखा दिया गया। ऐसे में ठेकेदारों की मौज हो गई।
तब ताबडतोड़ दुकानें खुलवाई
आबकारी बंदोबस्त के बाद एक अप्रेल से शराब की दुकानें खुलनी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं खुल पाई। बाद में जैसे ही अनुमति मिली महकमे ने कोविड-19 के तहत जारी गाइड लाइन की पालना करवाते हुए ताबड़तोड़ दुकानें खुलवाई, ताकि टूट रहा राजस्व बचाया जा सके। लेकिन, दुकानें खोलने के लिए जो बंदोबस्त किए थे वे कुछ ही दिनों में धराशायी हो गए।
इनके लिए दुखदायी थी यह व्यवस्था
दुकानों के बाहर दो गज की दूरी रखने के लिए गोल घेरे बनाने एवं सेनेटाइजर रखने के साथ ही महकमे ने स्थानीय स्तर पर गार्ड लगाने का भी प्रावधान किया था, ताकि व्यवस्थाएं बनी रहे। लेकिन, इससे ठेकेदारों को समस्या होने लगी। ज्यादा रेट में शराब बेचने और निर्धारित समय के अलावा भी शराब की बिक्री के मामलों में गार्ड की तैनाती दुखदायी साबित हो रही थी। ऐसे में गार्ड कब हट गए पता ही नहीं चला।
मौन स्वीकृति थी इसलिए गार्ड हटा दिए
बताया जा रहा है कि शराब के ठेकों पर आबकारी अधिनियम की भी खुले तौर पर अवहेलना हो रही है। ऐसे में कोविड-19 की गाइड लाइन की पालना को लेकर गार्ड बैठना ठेकेदारों के लिए नुकसानदायक था। कायदों को ताक पर रखते हुए ठेकेदार चांदी काटते हैं, लेकिन महकमे की इस व्यवस्था से उनकी मुश्किल बढ़ गई। हालांकि इस तरह के मामलों से आबकारी महकमा भी अनजान तो नहीं है, लेकिन कह सकते है कि एक तरह से मौन स्वीकृति दे रखी है। ऐसे में दुकानों के बाहर से गार्ड हटाना आवश्यक हो गया।