गोचर भूमि भू-माफियों के हवाले करने की तैयारी

Spread the love

हाई कोर्ट व राज्य सरकार के निर्णय निर्देश गये भाड़ में
नगर नियोजक राकेश मातवा और न्यास सचिव मेघराज मीणा ने खूंटी पर टांग दिया बीकानेर का जोनल डवलपमेंट प्लान
रसूखदार भू कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए हजारों बीघा

हाई कोर्ट के स्थगन के बावजूद रेल बाई पास की आड़ में भू-उपयोग परिवर्तन का खेल
बीकानेर। नगरीय विकास आवासन एवं स्वायत्त शासन विभाग के 4 अप्रेल 2019 के आदेशानुसार राज्य में शहरीकरण एवं नगरीय विस्तार में तीव्रगति से वृद्धि के परिणाम स्वरुप भू-उपयोग पर निरंतर दबाव के फलस्वरुप एवं नगरीय क्षेत्रों में आर्थिक, गतिविधियों, सामाजिक एवं आधारभूत सुविधाओं, यातायात व परिवहन व शहरी फैलाव, आवासों की कमी, पर्यावरण आदि अनेक नागरिक सुविधाओं से संबंधित चुनौतियां सामने आने लगी हैं। नगरीय विकास एवं विस्तार को सुनियोजित रुप से किये जाने के लिये दीर्घकालीन योजना होना आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा राज्य के लगभग समस्त नगरीय निकायों के मास्टर प्लान अधिसूचित किये जा चुके हैं। मास्टर प्लान के प्रस्तावों व नीतियों की प्रभावी क्रियान्विति किये जाने के लिये विस्तृत योजना आवश्यक है। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा राज्य के समस्त नगरीय क्षेत्रों के लिये लागू मास्टर प्लान क्षेत्र के क्षेत्रों में स िमलित नगरीय व कृषि भूमि के जोनल डवलपमेंट प्लान तैयार किये जाने का निर्णय लिया गया है। इस आदेश में राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका 1554/2004 गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में जोनल डवलपमेंट के संबंध में निर्णय १२ जनवरी २०१७ के बिन्दु सं या एक से तीन का हवाला दिया गया है। बिन्दु सं या एक में विकास प्राधिकारी व राज्य सरकार किसी शहर या कस्बे का मास्टर डवलपमेंट प्लान बनाते समय ध्यान रखें कि मास्टर प्लान इको सेंसेटिव जोन, इकोलोजिकल जोन, ग्रीन एरिया, पेराफेरियल बेल्ट, प्राकृतिक सेनेरी, शहरी वन क्षेत्र, वाईल्ड लाईफ, प्राकृतिक संसाधन व लैण्ड स्केपिंग क्षेत्र की भूमि यथा आवासीय, वाणिज्यक, औद्योगिक, संस्थानिक, सांस्कृतिक कॉ पलेक्सेज, पर्यटन कॉ पलेक्सेज, खुला क्षेत्र, बगीचे, ए युजमेंट पाकर््स, जूलोजिकल गार्डन्स, पशु सेन्चुरीज, डेयरी हैल्थ रिसोर्टस आदि को सुरक्षित, संरक्षित करने का दस्तावेज होगा। बिन्दु सं या दो के अनुसार युआईटी एक्ट की धारा 4 व 1982 के एक्ट सं. 25 की धारा 22 के तहत मास्टर डवलपमेंट प्लान तैयार करते समय व उसके तुरन्त बाद जोनल डवलपमेंट प्लान बनाते हुए इस बात का ध्यान रखेंगे कि प्रत्येक जोन में जन-आवास, जन-कार्य व सुविधाऐं, सड़कें, आवासीय, व्यवसायिक मार्केट, औद्योगिक क्षेत्र, पार्क, स्कूल्स, पब्लिक व निजी खुले क्षेत्रों का अन्तिम भू-उपयोग विशेषीकृत सुस्पष्ट दिखाया जाना चाहिए। तीसरे बिन्दु में कहा गया कि एक बार मास्टर डवलपमेंट प्लान या जोनल डवलपमेंट प्लान अन्तिम रुप से स्वीकृत हो जाने के बाद स्थानीय निकाय या निजि संस्था द्वारा विकास कार्य जोनल डवलपमेंट प्लान के तहत ही करेंगे। इसी प्रकार के निर्देश निर्णय १५ दिस बर २०१८ में दिये गये हैं। उक्त निर्देशों की पालना में राज्य सरकार ने आदेश १० जनवरी १८ और ७ जून १८ 07.06.2018 लिए निर्देशित किया गया था। आदेश के तहत जोनल डवलपमेंट प्लान तैयार किये जाने की क्रियान्विति भी निर्धारित की गई थी। इसके लिए प्रत्येक निकाय क्षेत्र की जोन सीमा का परिसीमन कर आगामी कार्यवाही की जानी थी। जोनल डवलपमेंट प्लान तैयार करने के लिए 10 चरणों में कुल 275 दिनों की समयावधि में जोनल डवलपमेंट प्लान तैयार करने के आदेश दिये गये थे। इसके तहत पूरे राजस्थान के अधिकतम नगर निकायों के जोनल डवलपमेंट प्लान तैयार किये जाकर राज्य सरकार से स्वीकृत हो चुके हैं। बीकानेर मास्टर प्लान क्षेत्र में पांच जोन बनाये गये। पहला जयपुर रोड़ से जोधपुर रोड़ के बीच, दूसरा जोधपुर रोड़ से जैसलमेर रोड़ के बीच, तीसरा जैसलमेर रोड़ से पूगल रोड़ के बीच, चौथा पूगल रोड़ से गंगानगर रोड़ के बीच व पांचवा ग्रगानगर रोड़ से जयपुर रोड़ के बीच जोन बनाए गये। नगर विकास न्यास, बीकानेर ने वेपकोस से १३ जुलाई २०१७ को ऑफर लेटर लेकर दो जोन का सर्वे का काम सौंपा लेकिन बाद में २७ सित बर १8 को जोन बी व वाई में 7200 एकड़ क्षेत्र में ही सर्वे के आदेश निकाले और उक्त सर्वे के बाद जोनल डवलपमेंट प्लान का काम रोक दिया गया। राजस्थान उच्च न्यायालय व राज्य सरकार के निर्णय व आदेश गये भाड़ में। वरिष्ठ नगर नियोजक राकेश मातवा व युआईटी सचिव मेघराज मीणा ने उससे उपर उठ कर मंत्री व उच्चाधिकारियों को गुमराह करके बीकानेर के जोनल डवलपमेंट प्लान को खूंटी पर टांग दिया, विकास के काम को रोक दिया। जबकि राजस्व ग्राम किशमीदेसर में एक रसूखदार भू-कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए बीकानेर के राजस्व ग्राम शरह नथानिया, सुजानदेसर व भीनासर की गोचर भूमि के बड़े भू भाग का भू-उपयोग भी मिश्रण भू-उपयोग (आवासीय व व्यवसायिक) किया जा रहा हैं। बीकानेर मास्टर प्लान 2023 में वरिष्ठ नगर नियोजक कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक २२ सित बर २०२० से भू-उपयोग परिवर्तन पर आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। जबकि वर्ष 2002 में लागू बीकानेर मास्टर प्लान-2023 में वर्ष 2008 में 10 और गांव शामिल करने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा गोचर, ओरण, तालाब, जोहड पायतन को संरक्षित करते हुए ़बीकानेर के नगरीयकरण योग्य क्षेत्र को नहीं बढाया गया। लेकिन इस अधिसूचना के जरिये व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन नहीं किया जाकर, व्यक्ति विशेष/एक भू कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए भू-उपयोग परिवर्तन किया जा रहा है। जो न्यायालय के निर्णय १२ जनवरी १७ के निर्णय में दिये गये निर्देषों की अवमानना की श्रेणी में है। रेल फाटकों के स बन्ध में दायर रिट याचिका 443/2014 में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा ६ सित बर १८ को स्थगन आदेश जारी किया हुआ है और रेल बाई पास या ऐलीवेटेड रोड़ किसी के लिए कोई भूमि अवाप्ति नहीं की जा रही है। जबकि नगर नियोजन विभाग की अधिसूचना में रेल बाई पास के लिए रेलवे द्वारा भूमि अवाप्ति को आधार बनाकर भू-उपयोग परिवर्तन की कवायद की जा रही है।

Load More Related Articles
Load More By alertbharat
Load More In blog

Leave a Reply