कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने जारी की नई चेतावनी

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कोरोना वायरस को लेकर आए दिन कुछ न कुछ रिसर्च सामने आ रहे हैं. ठंड के मौसम में कोरोना वायरस को लेकर कई स्टडीज की जा चुकी हैं लेकिन एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने बताया है कि आखिर सर्दियों में कोरोना क्यों एक बार फिर तेजी से फैल सकता है. रिसर्च के अनुसार, गर्मियों में एरोसोल के छोटे कणों की वजह से संक्रमण फैल रहा था वहीं जबकि सर्दियों में रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स (Respiratory Droplets) के सीधे संपर्क में आने से एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं.

ये स्टडी नैनो लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुई है. स्टडी में ये भी कहा गया है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग के अभी के नियम Covid-19 को फैलने से रोकने के लिए काफी नहीं हैं. स्टडी के लेखक यानिइंग झू ने कहा, ‘हमने कई मामलों में पाया कि रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स सीडीसी द्वारा बताए गए 6 फीट से ज्यादा की दूरी तय करते हैं. ‘ये स्टडी नैनो लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुई है. स्टडी में ये भी कहा गया है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग के अभी के नियम Covid-19 को फैलने से रोकने के लिए काफी नहीं हैं. स्टडी के लेखक यानिइंग झू ने कहा, ‘हमने कई मामलों में पाया कि रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स सीडीसी द्वारा बताए गए 6 फीट से ज्यादा की दूरी तय करते हैं. ‘शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे वातावरण में वायरस लगातार बना रहता है और कुछ मिनटों से लेकर एक दिन से अधिक समय तक सतह पर रहता है. झू ने कहा, ‘यही वजह है कि मीट प्लांट्स में कोरोना के मामले तेजी से फैलते हुए पाए गए हैं.’

शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके विपरीत गर्म और शुष्क स्थानों में ड्रॉपलेट्स आसानी से हवा में उड़ जाते हैं और वायरस के के छोटे कड़ों के साथ मिलकर एरोसोल वायरस कण बनाते हैं, जो बोलने, खांसने, छींकने और सांस लेने से फैलने लगते हैं. स्टडी के एक अन्य लेखक ली झाओ ने कहा, ‘ये बहुत छोटे कण होते हैं, आमतौर पर 10 माइक्रोन से भी छोटे. ये हवा में घंटों तक रह सकते हैं और आसानी से सांस के जरिए शरीर में जा सकते हैं.’

वैज्ञानिकों ने का कहना है कि गर्मियों में ड्रॉपलेट कॉन्टेक्ट की तुलना में एरोसोल ट्रांसमिशन ज्यादा हुआ जबकि सर्दियों में ड्रॉपलेट कॉन्टेक्ट को ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है. झाओ ने कहा, ‘इसका मतलब है कि स्थानीय वातावरण के आधार पर, लोगों को इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कई तरह के उपाय करने होंगे.’ठंडी और नम जगहों पर वैज्ञानिकों ने ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग रखने, मास्क पहनने और एयर फिल्टर के इस्तेमाल की सलाह दी है. शोधकर्ताओं के अनुसार, गर्म और नम वातावरण और ठंड और शुष्क वातावरण के एरोसोल और ड्रॉपलेट्स में कुछ खास फर्क नहीं देखा गया है.शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टडी के नतीजों से COVID-19 को फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने में मदद मिलेगी. झाओ ने कहा, ‘रिसर्च से ये भी जानने में मदद मिलेगी कि वायरस किसी व्यक्ति के शरीर पर कब तक रह सकता है. इससे इस महामारी के बारे में और पता लगाया जा सकेगा.’

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