क्या राहुल गांधी की 2021 में कांग्रेस के बॉस के तौर पर होगी वापसी?

Senior leaders outspoken, Ghulam Nabi Azad and Kapil Sibal expressed displeasure over Rahul Gandhi's statement
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‘द ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ में मंथन जारी है. कांग्रेस को दोबारा मजबूत स्थिति में लाने की रणनीति के साथ बड़ा सवाल ये भी है कि निकट भविष्य में पार्टी की कमान किस शख्स के हाथों में रहेगी? क्या पार्टी अध्यक्ष पद पर 2021 में फिर राहुल गांधी का रिटर्न होगा?

अपने शब्दों को मान देने की प्रतिबद्धता के साथ कांग्रेस हाईकमान की नजरें एक ऐसी बैठक पर है जिसको लेकर मीडिया सर्किल्स में भी काफी हलचल है.

जब से पार्टी में करीब दो दर्जन दिग्गज नेताओं ने चिट्ठी में पार्टी के संचालन को लेकर सवाल उठाए, उसके बाद से पार्टी के सांगठनिक चुनाव निकाय की दूसरी बार बैठक हुई है. इस निकाय को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है वो काम अगले 3 महीनों में पूरा होने की संभावना है. इसने पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव की तार्किक प्रक्रिया को तेज कर दिया है जो जनवरी तक पूरी हो सकती है.

निकाय को अपनी सारी तैयारियां पूरी हो जाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सूचित करने से पहले अभी डेढ़ महीना और लगने की संभावना है. ये सारा घटनाक्रम पार्टी में अप्रत्याशित विद्रोह के बाद घटा और इसकी बहुत उम्मीद की जा रही थी. पार्टी के मौजूदा राजनीतिक मौसम को देखते हुए बहुत संभव है कि राहुल गांधी की फिर बॉस के तौर पर वापसी हो.

क्या कहती है रूल बुक?

हालांकि पार्टी चुनाव निकाय रूल बुक के हिसाब से कदम उठाएगा. वह यह भी सुनिश्चित करेगा करेगा कि हर किसी को यही संदेश जाए कि पार्टी के संविधान का पूरा पालन किया जा रहा है.

 

पार्टी के एक सूत्र ने बताया, “हमें हर राज्य इकाई को संचार भेजना होगा और AICC (आल इंडिया कांग्रेस कमेटी) सदस्यों की सूची तैयार करनी होगी. यह सिर्फ एक प्रारंभिक बैठक थी और भविष्य में हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मिलेंगे. यह निश्चित है कि हम उचित प्रक्रिया और औपचारिकताओं का पालन करेंगे, और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होंगे.”

पार्टी की ओर से जल्दी ही सांगठनिक चुनाव प्रक्रिया को निपटा कर जनवरी तक एआईसीसी सत्र बुलाने की संभावना है. 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. एआईसीसी का ये सत्र औपचारिकता से अधिक होगा. इसके जरिए पार्टी में हर किसी को नए बॉस के बारे में साफ संदेश दिया जाएगा.

क्योंकि नए अध्यक्ष का कार्यकाल पूर्ण नहीं होगा, अंतरिम होगा, इसलिए चुनाव प्रक्रिया और उसके नतीजों को पूर्ण सत्र (प्लेनरी सेशन) की ओर से अनुमोदन कराना जरूरी नहीं होगा. एआईसीसी के करीब 1400 सदस्य तय चुनाव प्रक्रिया के बाद पार्टी के लिए वोट करेंगे.

राहुल के वफादारों का समायोजन

हालांकि, जिस तरह से राहुल के वफादारों को पहले ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था या जो पार्टी छोड़ने वाले कुछ लोग जो दोबारा वापस आए, उन्हें नई समितियों में नियुक्त किया गया है, यह स्पष्ट संकेत है कि राहुल गांधी की वापसी के लिए मंच तैयार किया जा रहा है.

राहुल के खासमखास माने जाने वाले मधुसूदन मिस्त्री पार्टी चुनाव निकाय के प्रमुख हैं. फिर मोहन प्रकाश का नाम आता है. जिन्हें पहले संबंधित विफलताओं के बाद महासचिव के पद से हटा दिया गया था, उनकी बिहार चुनाव के लिए एक समिति के जरिए वापसी हुई है. राहुल के पसंदीदा डॉ अजय कुमार, जो कुछ समय के लिए पार्टी छोड़ कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे उनकी भी घर वापसी हो चुकी है. कुमार झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं.

राहुल गांधी ने जिन्हें कभी चुना था, उनकी फिर मेनफोल्ड में वापसी हो रही है. सूत्रों के मुताबिक हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर को भी राहुल कैंप से फीलर मिल रहे हैं. हालांकि उनके लिए वापसी करना इतना आसान नहीं होगा. ये देखते हुए कि उनके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा से अतीत में कड़वे और मुश्किल वाले संबंध रहे हैं.

नई कांग्रेस कार्य समिति  

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के बारह सदस्यों का चुनाव भी होना है. सीडब्ल्यूसी को हाल ही में पुनर्गठित किया गया था और इसका मतलब है कि सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय में इन मौजूदा सदस्यों को नियुक्त होने के कुछ ही महीने में इस्तीफा देना होगा.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों को लगता है कि नेतृत्व भी हाल ही में उस हालिया विद्रोह को शांति के साथ दबाने में कामयाब रहा है, क्योंकि उन 22 असंतुष्टों की सूची से कुछ को चुनकर जिम्मेदारी दी गई हैं. इनमें मुकुल वासनिक को मध्य प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी देने के साथ प्रतिष्ठित कोर ग्रुप में शामिल किया गया. जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया. अरविंदर सिंह लवली को चुनाव निकाय के सदस्य के तौर पर चुना गया.

लवली के अलावा चुनाव निकाय में पूर्व सांसद राजेश मिश्रा, कर्नाटक के पूर्व मंत्री कृष्णा बायर गौड़ा, लोकसभा सांसद जोथिमनी को भी सदस्य बनाय गया. निकाय के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री हैं.

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