बडी खबर: फिर टूटी इस कॉलोनी की पाल, कलेक्टर की चेतावनी का कोई असर नहीं

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बडी खबर: फिर टूटी इस कॉलोनी की पाल, कलेक्टर की चेतावनी का कोई असर नहीं
बीकानेर बजरंग बिहार कॉलोनी 10 दिन पहले बारिश में डूबी थी वो आज भी वैसी ही दशा में है। शनिवार की बारिश के बाद कॉलोनी में पानी और बढ़ गया। लोग डरे हुए हैं। नगर निगम को संभागीय आयुक्त और कलेक्टर का भी कोई डर नहीं। दोनों अधिकारी कार्य प्रणाली सुधारने की चेतावनी दे चुके हैं मगर कोई सुधार न हुआ। न तो सडक़ें बन रहीं। न नालियां साफ हो रहीं। बारिश के समय निगम के अधिकारीया तो फोन बंद कर लेते हैं या फोन उठाते ही नहीं। बीते दिनों की 56 एमएम बारिश के बाद तो शहर छलनी हो गया था जिसे लेकर कलेक्टर ने नाराजगी जताई और और चेतावनी भी दी पर निगम कर्मियों पर कोई असर नहीं हुआ।
बजरंग विहार और उसके आसपास की कॉलोनियों में जो पानी चार दिनों में कुछ हद तक घटा था। शनिवार को हुई मामूली बारिश के बाद  वापस भर गया। जबकि शनिवार को तो बहुत मामूली बारिश हुई थी। कालोनी में दो से तीन फीट तक पानी वापस भर गया है।

सैकड़ों घर पानी में घिर चुके हैं। जब इस मामले की तहकीकात की तो सामने आया कि जो पाल 10 दिन पहले टूटी थी वो अभी तक ठीक ही नहीं कीगई। काम चल रहा है पर अभी भी दो से चार दिन ठीक होने में और लगेंगे। डर ये है कि अगर अब बारिश आ गई तो जो काम हुआ है उस परभी पूरी तरह पानी फिर जाएगा। पानी बढ़ा तो जो मिट्‌टी डाली गई वो भी बह जाएगी।ऊपर से कॉलोनियों में पानी भरेगा सो अलग। लोग दहशत में हैं। वहां के नागरिकों का कहना है कि अब ना तो निगम प्रशासन से कोई उम्मीदहै ना न्यास से। सिर्फ कलेक्टर ही सहारा हैं। कलेक्टर से उम्मीद है कि वे शहर की दशा सुधार सकती हैं क्योंकि अगर निगम को करना होता

तो कब का कर चुका होता। हर साल वहां पाल टूटती है। निगम से शहर के नाले तक साफ नहीं हुए कॉलोनी क्या बचाएगा।जो ट्रैक्टर कचरा उठाते हैं वो ढो रहे मिट्‌टी, घरों से कूड़ा कलेक्शन करने वाले टिपर नियम विरुद्ध उठा रहे कचरानगर निगम की कार्य प्रणाली देखिए कि जो ट्रैक्टर शहर की सडक़ों से लेकर बाजार तक का कचरा उठाने के लिए लगाए गए हैं वो 10 दिनोंसे टूटी पाल को ठीक करने के लिए मिट्‌टी ढो रहे हैं। इन ट्रैक्टरों के भरोसे समय से टूटी पाल ठीक नहीं हो सकती। दूसरी तरफ मोहल्लों सेसडक़ों का कचरा पूरी तरह उठना बंद हो गया है। कहीं कहीं टिपर उठा रहे हैं। जबकि टिपर को सडक़ों का कचरा उठाने से साफ मना कियागया है। ये नियमों के खिलाफ है। क्योंकि घरों के कचरे का वजन अलग होता है।टिपर को कचरे के वजन के हिसाब से पैसा मिलता है। सडक़ों के कचरे का वजन ज्यादा होता है क्योंकि उसमें मिट्‌टी, नालियों का कीचड़तक होता है। फिर भी टिपर को चोरी से इशारा किया गया कि वो सडक़ों पर पड़ा कचरा भी उठाकर वजन तुलवाएं ताकि कमाई ज्यादा हो सके। ठेकेदार को बीते एक साल से टिपर से कमाई करने की खुली छूट दी गई है। इस पर न संभागीय आयुक्त की ध्यान है न कलेक्टर कीनजर पड़ रही। बजरंग विहार कॉलोनी में दस दिनों में जलस्तर काफी घट गया था। रविवार को वापस बढऩे लगा। 6000 ट्राली मिट्‌टी चाहिए, रोज सवा सौ ट्राली ही आ रही वल्लभगार्डेन के पास जो पाल टूटी है वो लंबे-चौड़े इलाके में दरकी है। इसलिए गहरे गड्‌ढे हो गए हैं। नगर निगम के अभियंताओं ने इसे ठीक करने के लिए करीब 6000 ट्राली मिट्‌टी की जरूरत बताई है। बीते आठ दिन से रोज करीब सवा सौ ट्राली मिट्टी ही आ रही है। करीब 20 ट्रैक्टर लगाए गए हैं। ये प्रति दिन 6 खेप करते हैं। इस तरह से काम चला तो अभी काफी समय लगेगा।

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