गैंगस्टर राजू ठेहट को 20 दिन की पैरोल, पुलिस और प्रशासन ने कहा जेल से बाहर आने पर गैंगवार की संभावना

Supreme Court's big decision, University will have final year examination
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जयपुर। बहुचर्चित गैंगस्टर राजू ठेहट को राजस्थान हाईकोर्ट ने रेगुलर पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिये हैं। राज्य सरकार ने गैंगस्टर ठेहट को पैरोल देने की अनुशंसा करने से ये कहते हुए इंकार कर दिया था कि ठेहट के जले से बाहर आने से गैंगवार की प्रबल संभावना है। वहीं सीकर पुलिस अधीक्षक की ओर से भेजी गयी रिपोर्ट में भी ये प्रबल संभावना जतायी गयी है कि राजू ठेहट को पैरोल पर रिहा करने से उसके दूश्मन आपसी रंजिश के चलते बड़े अपराध को अंजाम दे सकते हैं। राजू ठेहट की ओर से 7 साल से अधिक समय जेल में बिताये जाने और जेल नियमों के अनुसार 20 दिन की रेगुलर पैरोल का अधिकार होना बताते हुए पैरोल की गुहार लगायी थी। हाईकोर्ट जस्टिस सबीना और जस्टिस सी के सोनगरा की खण्डपीठ ने गैंगस्टर के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए 20 दिन की रेगुलर पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिये हैं।
7 साल जेल में बिताए, जेल में व्यवहार है शालिन
राजू ठेहट के भाई हरलाल की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में दायर कि गयी याचिका में बताया गया कि उसके भाई ने 7 साल से ज्यादा समय जेल में बिताया है। वहीं जेल नियमों के अनुसार राजू ठेहट ने नियमों का पालन किया है और जेल में उसका व्यवहार संतोषप्रद रहा है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सात साल जेल में बिताने और जेल में व्यवहार को आधार बनाते हुए पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिये हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में प्रथम पैरोल पर रिहा करने के आदेश देते हुए जयपुर जेल अधीक्षक की संतुष्टि को जरूरी बताया है।
आनंदपाल गैंग से रही है दुश्मनी
राजू ठेठ राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर में से एक है। इसकी आनंदपाल गैंग से दुश्मनी जग जाहिर है। दोनों की गैंग के गुर्गे के जेल के अंदर व बाहर कई बार एक दूसरे पर हमले कर चुके हैं। आनंदपाल सिंह का तो 24 जून 2017 को राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ तहसील के मालासर गांव में एनकाउंटर हो गया था, लेकिन आंनदपाल गैंग के कई गुर्गे अभी भी बाहर हैं।
गंभीर मामले में भी गर्वमेंट काउंसिल ने नहीं की पैरवी
राजू ठेहट जैसे गैंगस्टर के मामले में भी राज्य सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भले ही पैरोल की अनुशंसा नही की हो या फिर सीकर पुलिस सख्त शब्दों का प्रयोग कर पैरोल का विरोध किया हो। लेकिन इतने गभीर मामले में भी राज्य सरकार की ओर से गर्वमेंट काउंसिल पेश नही हुए। बल्कि उनके जूनियर राजकीय अधिवक्ता ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखा। राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार की पैरवी की के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ताओं क बड़ी तादाद है। ये जरूर है कि राजकीय अधिवक्ता सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए पैरोल का विरोध किया। लेकिन गर्वमेंट काउंसिल का ऐसे गंभीर मामले में भी सरकार का पक्ष रखने के लिए नहीं होना सवाल खड़े करता है। सरकार तक इस आदेश की खबर मिलने पर पैरोल के खिलाफ अपील करने की तैयारी शुरू कर दी गयी है।

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