खान महाघूसकाण्ड : पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

Khan Mahaghuskand: Rajasthan High Court dismisses bail plea of ​​former IAS Ashok Singhvi
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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने खानमहाघूसकाण्ड के मुख्य आरोपी और पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी को बडा झटका देते हुए जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया है। जस्टिस सतीश कुमार शर्मा ने सोमवार को जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज करने के आदेश दिये है। एकलपीठ ने 2 जून को मैराथन बहस के पश्चात जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। अदालत ने इसके साथ सहआरोपी राशीद शेख की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है। एकलपीठ ने जमानत याचिका पर विस्तृत आदेश देते हुए कहा कि इस केस में सिंघवी की बड़ी भूमिका को देखते हुए जिसके खिलाफ मजबूत साक्ष्य उपलब्ध है, जमानत देना उचित नही होगा।
जमानत देने से समाज में जाएगा गलत संदेश
अदालत ने कहा कि सिंघवी के प्रयास ट्रायल से बचने के रहे है। अदालत ने आगे कहा कि सरकारी विभागों अनियत्रिंत भष्ट्राचार में गंभीर प्रवृति के इस आर्थिक अपराध में आरोपी की मजबूत स्थिती के बावजूद जमानत देने से समाज में गलत संदेश जायेगा। हाईकोर्ट की अन्य पीठ द्वारा मामले के सहआरोपियों को जमानत दिये जाने के मामले में अदालत ने कहा कि वे अन्यपीठ के फैसले का सम्मान करते है लेकिन एक ही केस में अलग अलग आरोपियों की लीगल पोजिशन पर विचार किया जाना जरूरी है। प्रत्येक आरोपी की भूमिका एक ही केस में अलग अलग हो सकती है ऐसे में उनके द्वारा किये गये अपराध के साथ अन्य तथ्यों पर गौर किया जाना आवश्यक है। अदालत ने कहा कि एक विशेष आरोपी इस आधार पर जमानत के लिए क्लेम नही कर सकता कि उसी मामले में उसके सहआरोपी को जमानत दी जा चुकी है।
सिंघवी की भूमिका सहआरोपियों से अलग
अशोक सिंघवी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए एकलपीठ ने कहा कि इस केस में सिंघवी का मामला अन्य सहआरोपियों के समान नहीं है। सिंघवी के खिलाफ एकत्रित किये गये सबूत व अन्य तथ्य बड़ी भूमिका इंगित करती है। अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया इस केस में साफ है कि अशोक सिंघवी खान विभाग के मुखिया के रूप में प्रमुख सचिव पद पर कार्यरत थे और प्रमुख सचिव के दौरान ही 2.55 करोड़ की रिश्वत की राशि बरामद करने का मामला सामने आया है। टेलीफोन रिकॉर्डिग और कॉल रिर्काडिंग की डिटेल इस केस में सिंघवी को अच्छी तरीके से जोड़ती है। अदालत ने कहा कि सिंघवी की भूमिका को सहआरोपियों की भूमिका के समान नही माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को टाला
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस केस सहआरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में सरेण्डर कर दिया। लेकिन सिंघवी ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी टालने का प्रयास किया और उससे लाभ प्राप्त करते हुए बिना किसी कारण के 17 फरवरी की जगह 1 जून को सरेण्डर किया। उसी तरह राशीद सेख ने 6 जून को सरेण्डर किया। जबकि दोनो ही आरोपी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भलीभाति जानते थे।
राशीद शेख की भूमिका
अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए राशीद शेख की भूमिका को लेकर कहा कि राशीद शेख ने इस केस में मुख्य भूमिका निभायी है जिसने 1.58 करोड़ की राशि की व्यवस्था करना स्वीकार किया है।
एएसजी ने की ईडी की ओर से पैरवी
जमानत याचिका पर सिंघवी और शेख की ओर से एडवोकेट अनिल उपमन, मोहित खण्डेलवाल और दीपक चौहान ने पैरवी की। वहीं ईडी की ओर से एएसजी आर डी रस्तोगी और आनंद शर्मा ने पैरवी की। सिंघवी से केस के अन्य आरोपियों को समान जमानत देने की बात कही। वही ईडी की ओर से एएसजी आर डी रस्तोगी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि ये संपूर्ण घोटाला सिंघवी की देखरेख और मॉनिटरिंग में किया गया है। इस केस में सिंघवी की शह पर ही भष्ट्राचार किया गया है। सिंघवी खान विभाग के मुखिया थे और वे पहले माईंस को बंद करते थे और फिर फिर शुरू करने के लिए पैसे की डिमांड करते थे। एएसजी ने कहा कि हमारे पास सिंघवी के फोन रिकोर्डिग के अहम सबूत मौजूद है। इसलिए सिर्फ समानता के आधार पर मुख्य आरोपी को जमानत नही दी जानी चाहिए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की एकलपीठ ने जमानत याचिका पर 2 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था।

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