


आखिर जाली नोट माफिया गिरोह को एसओजी कब पकड़ेगी, तीन साल लगे गये
बीकानेर पुलिस ने तीन साल पहले बड़ी कार्यवाही कर हवाला नेटवर्क से जुड़े जाली नोट माफियाओं गिरोह का पर्दाफाश कर सात युवकों को गिरतार कर उनके कब्जे से पौने तीन करोड़ के जाली नोट समेत नोट छापने का प्रिंटर प्रिंटर, मशीन, कागज, स्याही, कटर मशीन व फिनिशिंग का सामान बरामद किया था। बताया जाता है कि इस बड़ी कार्यवाही के दौरान पकड़े गये युवकों से पूछताछ में पुलिस ने करीब तैंयालीस ऐसे लोगों को चिन्हित किया था जो इनके नेटवर्क से जुड़े हुए थे। उस वक्त पुलिस ने दावा किया था कि जल्द ही गिरोह के नेटवर्क से जुड़े तमाम लोगों को डिटेन कर सलाखों के पीछे पहुंचाया जायेगा। लेकिन बाद में मामले की जांच एसओजी को सौंप दी गई । हैरानी की बात तो यह है कि आज तीन साल बाद भी एसओजी उन तैंयालीस लोगों को डिटेन नहीं कर पाई जो जिन्हे पुलिस ने चिन्हित किया था। दरअसल, जुलाई 2023 में पुलिस ने जाली नोट माफियओं के बड़े गिरोह का पर्दाफाश कर गिरोह के मुय सरगना नोखा के सुरपुरा निवासी चम्पालाल उर्फ नवीन सारस्वत के (31) के साथ गांव बेरासर निवासी राकेश (22),गुंसाईसर बड़ा निवासी पूनमचंद (26), लूणकरनसर निवासी मालचंद , वृन्दावन एन्लेव कॉलोनी निवासी रविकान्त (24), दंतौर निवासी नरेन्द्र (27) और लूणकरनसर निवासी दीपक रैगर को (26) को गिरतार में लिया था। इन आरोपियो से पूछताछ में पुलिस ने इनके नेटवर्क से जुड़े करीब तैंयालीस जनों को चिन्हित किया था। इनमें कई हवाला और आढत करोबारी भी शामिल थे। इनके नेटवर्क में शामिल देहात भाजपा के एक युवा नेता का नाम भी सामने आया था। कार्यवाही के दौरान पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि गिरोह के नेटवर्क से जुड़े तमाम लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जायेगा। लेकिन बाद में मामले की जांच एसओजी के पास चली जाने से नेटवर्क से जुड़े बीकानेर के कई हवाला और वायदा कारोबारी कार्यवाही से बच गये। गिरोह की कुण्डली खंगालने पर खुलासा हुआ
था कि जाली नोट माफियाओं ने सिर्फ बीकानेर तक ही बल्कि देश प्रदेश में बड़े शहरों तक अपना नेटवर्क फैला रख था और गिरफ्त में आने से पहले करीब पन्द्रह करोड़ जाली नोट हवाला के जरिये दिल्ली, कोलकाता, मुबई, पुणे,चेन्नई, बेंगलूरु, पटना, गुवाहाटी, शिलोंग, लुधियाना, चंडीगढ़, सूरत, अहमदाबाद, वृंदावन, बनारस, गाजियाबाद आदि शहरों में सप्लाई कर चुके थे।