


बीकानेर। सर्दियों में छाने वाले कोहरे के कारण अक्सर ट्रेनें लेट हो जाती हैं। इसके कारण जहां रेलवे का ट्रैफिक संचालन प्रभावित होता है वहीं यात्रियों को भी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बार उत्तर पश्चिम रेलवे ने कोहरे के कारण ट्रेनों के लेट होने वाली समस्या से निजात पाने के लिए बड़ी योजना तैयार की है। अब उसे अमली जामा पहनाया जा रहा है। उसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि कोहरे के कारण ट्रेनें रद्द नहीं होंगी। वहीं कोहरे के कारण होने रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों से कुछ हद तक निजात मिलेगी। इसके लिए रेलवे अब एंटी फॉग डिवाइस का उपयोग करेगा। हर साल सर्दियों के मौसम में कोहरे के चलते दर्जनों ट्रेनों को रद्द किया जाता है। लेकिन इस बार एनडब्ल्यूआर चाहता है कि कोहरे के चलते कम से कम ट्रेनों पर इसका प्रभाव पड़े। इसके लिए रेलवे ने पूरी तैयारियां पहले से कर ली हैं। कोहरे की समस्या से निजात पाने के लिए एंटी फॉग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा। यह घने कोहरे में भी विजिबिलिटी को शून्य नहीं होने देगा। उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में कोहरे के कारण रेल यातायात अक्सर प्रभावित होता है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर और बीकानेर मंडल से गुजरने वाली ट्रेनों पर इसका असर सबसे ज्यादा देखा जाता है। कोहरे की अधिकता वाले रेलखंडों में रेलसेवाओं के सुरक्षित संचालन के लिए रेलवे इस बार विशेष प्रबंध कर रहा है। इसमें संबंधित विभाग इंजीनियरिंग, सिग्नल एवं दूरसंचार, विद्युत, यांत्रिक, परिचालन और संरक्षा विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की परिस्थिति में संरक्षित रेल संचालन हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ कैप्टन शशि किरण ने बताया कि उत्तर पश्चिम रेलवे में कोहरे की अधिकता वाले रेलखंडों को चिन्हित किया गया है। कोहरे से प्रभावित सभी स्टेशनों पर विजीबिलिटी टेस्ट आब्जेक्ट की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। विजीबिलिटी टेस्ट ऑब्जेक्ट के उपयोग से स्टेशनों पर दृश्यता को जांचा जाता है। इसके साथ ही घने कोहरे वाले रेलखंडों में चलने वाली समस्त ट्रेन सेवाओं के लोको पायलेट को फोग सेफ्टी डिवाइस उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
गाड़ी की स्पीड को नियंत्रित करना आसान होता है
सीपीआरओ ने बताया कि संपूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे में कुल 877 फोग सेफ्टी डिवाइस उपलब्ध हैं। इन सभी में धुंध/कोहरे वाले रेलखंड की जीपीएस मैपिंग कर दी गई है। फोग सेफ्टी डिवाइस को इंजन पर लगा दिया जाता है। डिवाइस ऑन होने के बाद यह जीपीएस प्रणाली से उस खण्ड में स्थित सभी सिग्नलों की दूरी के बारे में लोको पायलेट को पूर्व में ही अवगत कराता रहता है। इससे लोको पायलेट अपनी गाड़ी की स्पीड को नियंत्रित करना आसान होता है।
रेल पथ की निगरानी को बढ़ाया गया है
लोको पायलेट को सिग्नल और अन्य संकेतकों की दृश्यता ठीक प्रकार से दिखे इसके लिए संकेतकों पर फिर से पेटिंग और चमकीले साइन बोर्ड से रंगा जा रहा है। इसके अलावा ऐसे खंड में पेट्रोलिंग की आवृत्ति को बढ़ाकर रेल पथ की निगरानी को बढ़ाया गया है। इस बार एनडब्ल्यूआर ने तय किया है कि कोहरे की वजह से ट्रेनों को रद्द नहीं किया जाएगा। हालांकि इस तैयारी के नतीजे तभी सामने आ पाएंगे जब ट्रेनें घने कोहरे से गुजरेंगी।