


बीकानेर। वैसे तो सभी की शादी यादगार होती है, मगर शादी की रस्मों के दौरान ही कई बार ऐसा संदेश दिया जाता है। जिससे शादी खास हो जाती है और हर कोई उसकी चर्चा करता दिख जाता है। ऐसी ही शादी बीकानेर जिले के मेघवाल परिवार ने अपने बेटे की है। दरअसल इस परिवार ने बेटे की शादी में कोई दहेज नहीं लिया। महज एक रुपया नारियल में दुल्हन को घर लाए हैं। शहर के इन्दिरा कॉलोनी निवासी राजकीय उ.मा. विद्यालय कानासर के संस्कृत अध्यापक रामदेव प्रसाद पंवार ने अपने बेटे राधेश्याम की शादी बिना दहेज कर मिसाल पेश की है। पेमासर गांव निवासी पोकरराम सेलवाल की बेटी दिव्या से 4 दिसम्बर को रामदेव प्रसाद के बेटे राधेश्याम की शादी हुई। दुल्हन के पिता ने बताया कि हमने दुल्हन पक्ष के लोगों को सगाई के दिन ही दहेज लेने के लिये साफ मना कर वादा किया था की शादी वाले दिन सिर्फ एक रूपया नारियल ही लेंगे। उन्होंने शादी में हर चीज के लिए साफ मना कर दिया। यहां तक की रिश्तेदारों की मिलनियां भी नहीं ली। रामदेव प्रसाद ने राजाराम मोहन राय की दहेज प्रथा की उन्मूलन की प्रेरणा से प्रेरित होकर उन्होंने दहेज नहीं लेने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि शादियों में दहेज की कामना रखने वालों को संदेश देने के लिए ये पहल की है। बहू के रूप में कन्या धन की प्राप्ति होने के बाद दहेज कोई मायने नहीं रखता। बदलते दौर में दहेज प्रथा एक बड़ी बुराई है। इन्हीं विचारों की जीवन में अपनाते हुए मिलनियों में न अंगूठी और न ही कंबल लिए। बेटे राधेश्याम ने बताया कि उसे खुशी है कि शादी बिना दहेज हुई। आज देशभर में कहीं न कहीं कन्याओं पर ‘दहेजÓ की कामना को लेकर अत्याचार हो रहे हैं, हजारों-लाखों घर यूं ही फिजूल के दिखावे में बर्बाद हो रहे हैं।