सनातन धर्म की मूल और भगवान से भी श्रेष्ठ है गौमाता : श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज

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श्रीभक्तमाल कथा की हुई पूर्णाहुति, कार्यकर्ताओं का किया सम्मान, संतों का मिला सान्निध्य
बीकानेर। भीनासर स्थित मुरलीमनोहर मैदान में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीभक्तमाल कथा को गुरुवार को विश्राम दिया गया। विगत सात दिवस से श्रीरामानंदीय वैष्णव परम्परान्तर्गत श्रीमदजगद्गुरु मलूक पीठाधीश्वर पूज्य श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने बीकानेर के हजारों श्रद्धालुओं को श्रीभक्तमाल की कथा के साथ ही बौद्धिक व शास्त्रीय ज्ञान से रुबरु करवाया। गौ, गंगा, गायत्री, गौरी और गीता प्रकल्पों के बारे में रोजाना व्याख्यान दिया। गुरुवार को श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज ने गौसेवा की महिमा का बखान करते हुए कहा कि जिसने अपना जीवन गौसेवा में लगा दिया समझलो वह साक्षात् हरि के चरणों में है। पुरुषार्थ सिद्धि ब्रह्मविद्या की सिद्धि सबकुछ गौवंश की सेवा से प्राप्त हो सकता है। धर्म, अर्थ, कामना और मोक्ष की सिद्धि स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। कई बार देखा गया है कि गाय की सेवा करने वाला भी दुखी-दरिद्र रहता है तो इसका एक ही मूल कारण है कि यदि कोई गाय के प्रति भगवत् भाव न रखे केवल पशु समझे तो जो लाभ गौसेवा से मिलना होता है वह नहीं मिलता। गाय के प्रति हमें पशुबुद्धि का त्याग करना होगा। शास्त्र की दृष्टि से दो पैर वाले प्राणियों यानि मनुष्यों में साधु-ब्राह्मण भगवान माने जाते हैं और चार पैर वाले प्राणियों में गाय साक्षात् भगवान ही है। गाय केवल भगवान नहीं गाय तो भगवान की भी भगवान है। हम कृष्ण की आराधना करते हैं और कृष्ण तो स्वयं गायों की सेवा करते हैं। 11 रुद्रों की माँ है गाय, 12 आदित्यों की बहन है। वैदिक सनातन धर्म के पंच देव भी गौसेवा करते हैं। गाय भगवान से भी श्रेष्ठ है। धरती सात स्तम्भ पर टिकी है जिसमें पहला और प्रधान स्तम्भ है गाय, दूसरा स्तम्भ ब्राह्मण, तीसरा स्तम्भ वेद, चौथा स्तम्भ पतिव्रता नारी, पांचवां स्तम्भ सत्यवादी, छठा स्तम्भ लोभरहित पुरुष, सातवां स्तम्भ है दानशील पुरुष हैं। हमारे संस्कार, हमारे मूल्यों, हमारे सदाचार की रक्षा करने के लिए हमें ही सजग होना होगा। सम्पूर्ण हिन्दू समाज संगठित हो इसके लिए जब भी कोई धार्मिक आयोजन हो तो हर जाति वर्ग को आमंत्रित करना चाहिए, उनका स्वागत करना चाहिए, ताकि उनमें भी आदर के भाव विकसित हों। हमारे देश का एक ही भाव है वसुधैव कुटुम्बकम। गाय और ब्राह्मण का कुल एक ही था। ब्रह्माजी ने जिसमें मंत्रों की प्रतिष्ठा की उसमें ब्राह्मण स्थापित हुए और जिसमें हव्य और पितरों के गव्य की प्रतिष्ठा की उसे गाय स्थापित हुई। आयोजन समिति के घनश्याम रामावत ने बताया कि बुधवार रात्रि को महाराजश्री ने देशनोक में करणी माता के दर्शन किए। आज कथा आयोजन में रामस्नेही श्रीक्षमारामजी महाराज सींथल, श्रीविलासनाथजी महाराज चैननाथ धूणा, श्रीरसराजी महाराज वृंदावन, श्रीधर्मेशजी महाराज रोड़ा, श्री अनंतबाबाजी वृंदावन धाम, श्रीअनुरागदासजी महाराज एवं बालसंत श्रीछैलविहारीजी महाराज का सान्निध्य रहा। इसी क्रम में विधायक अंशुमान सिंह भाटी, विधायक जेठानन्द व्यास, गौभक्त देवकिशन चांडक देवश्री, पूर्व उपमहापौर अशोक आचार्य, पूर्व प्रधान कोलायत जयवीरसिंह भाटी, शेखर आचार्य, दिनेश सांखला, विष्णु सारस्वत का आतिथ्य रहा। आयोजन समिति के मयंक भारद्वाज ने बताया कि आज यजमानों का मुख्य परिवार माया देवी गौरीशंकर रामावत, इंदू भारद्वाज देवेन्द्र भारद्वाज, मंजू महादेव रामावत, कमला भंवरलाल रामावत, गुड्डी देवी गोपालदास रामावत, रजनी देवी ओमप्रकाश रामावत, पुष्पा देवी, लीलावत, इंद्रमोहन रामावत, घनश्यामदास रामावत ने आरती की। इस दौरान एकता, आरती, प्रियंका, मानसी, गुनगुन, ममता, चंचल, कीर्ति, जयश्री, भवानी, लोकेश देवी, कुसुम, भंवरी देवी एवं कुलदीप सोनी, श्रवण सोनी, राजेश सोनी सहित लगभग 100 कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया।

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