


बीकानेर। स्थानीय धर्म सागर हाउस में 21 जून को पडऩे वाले सूर्य ग्रहण पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी का संचालन करते हुए पंडित योगेश ओझा ने बताया कि ग्रहण काल व सूतक मे किये जाने वाले धार्मिक कार्यो पर बोलते हुए पं अशोक कुमार ओझा ने कहा कि ग्रहण का प्रारम्भ रविवार को दिन में 10 बजकर 11 मिनट से होगा और समाप्ति दोपहर 1 बजकर 37 मिनट पर होगी। इस का सूतक (वेधकाल) 12 घण्टे पूर्व 20 तारीख शनिवार को रात्रि 10:11 से होगा। धर्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल मे बालक, वृद्ध, गर्भवती महिला व आतुर जनो को छोड़कर भोजनादि करना निषिद्ध माना गया है, परन्तु ग्रहण काल सहित सूतक में नाम जप आदि की मनाही नही है। ‘धर्म सिंधु, निर्णय सिंधुÓ आदि ग्रथों के अनुसार ग्रहस्थी जनो को ग्रहण काल से 6 मुहूर्त पूर्व का वेध काल ही विशेष मान्य है और 1 मुहूर्त का मान 48 मिन्ट मान से 6 मुहूर्त के 4घण्टे 48 मिनट का समय मुख्य वैध प्राप्त होता है और रविवार के दिन 10:11बजे से 4 घण्टे 48 मिनट पूर्व प्रात: 5:23बजे होता है अत: शास्त्रीय मर्यादाओं के अनुरुप 21 जून को ब्रह्म मुहूर्त व उषाकाल मे नित्य सेवा पूजनादि कर्म के साथ आहार (चाय आदि) लिए जा सकते है साथ ही तेल, घी व दूध के साथ मिलाकर बनाये पदार्थ भी ग्रहण के प्रभाव से मुक्त माने गए है एवमेव जल सहित सभी वस्तुओं पर दर्भ (कुशा) अथवा तुलसी पत्र रखने से दूषित नही होते है। ग्रहण काल मे मन्त्र सिद्धि का विशेष महत्व है, जन साधारण को अपने इष्ट देव की उपासना आराधना करनी चाहिए। पूर्व में बने भोजन सहित पुराने वस्त्रो का दान करना व जिन व्यक्तियों के यह ग्रहण अशुभ फल देने वाला है उन्हें छाया पात्र का दान करना श्रेष्ठ रहेगा साथ ही जिन व्यक्तियों की कुंडली में ग्रहण योग हो उन्हें भी इस समय दान करना चाहिए। आचार्य विनोद ने बताया कि इस चूड़ामणि ग्रहण के अवसर पर मन्त्र दीक्षा प्राप्त करना विशेष पलदायी मानागया है।पं आशीष भादाणी ने बताया कि ग्रहण के समाप्ति पर वस्त्र सहित स्नान कर यथा सम्भव अन्न का दान कर भोजनादि ग्रहण करना चाहिए। इस गोष्ठी में पं मोहन, राघवेंद्र व विकाश कलवानी आदि ने भाग लिया।