


बना हुआ है पूरा क्योर शिड्यूल, करनी होती है इसकी नियमित पालना
अनिल रावत
बीकानेर। जिंदगी एक जंग है और यह जंग किसी भी रूप में हो सकती है। जंग से जीतने वालों को ही योद्धा कहते है। वर्तमान में यहां बात कर रहे है हम वैश्विक महामारी ‘कोरोना वायरसÓ की। ऐसी बात नहीं है कि कोरोना संक्रमित होने के साथ ही जान से हाथ धोना पड़ रहा है, बल्कि कोरोना संक्रमित चिह्नित होने के साथ ही समय रहते हम यदि सरकार की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही सेवा व सुविधाओं के साथ-साथ एडवाइजरी के नियमों की पालना करें तो हम कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते है।
बीकानेर सहित पूरे देश में तो अब तक हालांकि कोरोना संक्रमितों की संख्या जरूर बढ़ी है, किंतु उसके मुकाबले अन्य देशों की अपेक्षा मौतों की स्थिति को देखें तो नहीं के बराबर है। यानी की अधिकांशत: लोगों ने संक्रमित होने के बाद ‘कोरोनाÓ को हराया है।
वह कैसे हम आपको बताते है…
कोरोना पॉजिटिव चिह्नित होने के बाद ऐसे ही एक कोरोना विजेता ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना के खिलाफ चतुरंगिणी सेना में चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों, जांचकर्ताओं, पुलिस, नर्सिंगकर्मी, सफाईकर्मियों के साथ-साथ स्वयं मरीज भी योद्धा के रूप में शामिल है। जब भी कोई मरीज ठीक होकर घर जाता है, अर्थात उसकी पॉजीटिव से निगेटिव रिर्पोट आती है तो पूरी चतुरंगिणी सेना विजेता सा अहसास करती है।
कोरोना जैसे कष्टदायक शत्रु को हराकर घर पहुंचे एक विजेता ने रणभूमि का बखान किया। उसने बताया कि रणभूमि यानी अस्पताल में कोरोना से चैबीसों घंटे फाइट चलती थी। उसने बताया कि किस प्रकार उन्हें शिड्यूल बनाकर दिया जाता और उसी के अनुरूप सभी मरीजों को व्यवहार करना होता था।
यह है पूरा कार्यक्रम
-विटामिन सी-1000
-विटामिन-ई
-सुबह 10.00 बजे से 15-20 मिनट के लिए धूप में बैठना
-एक आयटम लेना जिसमें अंडा हो
-रोज 7-8 घंटे की नींद
-रोजाना 1.5 लीटर गुनगुना पानी पीना
-गर्म भोजन लेना
-गर्म पानी की भाप लेना
अस्पताल में यह बताया गया कि कोरोना वायरस का पीएच 5.5 से 8.5 के बीच होता है। अत: इससे ज्यादा पीएच वाले क्षारीय खाद्य पदार्थों का उपयोग करना है। इनमें नी बू-9.9 पीएच, चूना-8.2 पीएच, एवाकैंडो-15.6 पीएच, लहसुन-1३.2 पीएच, आम 8.7 पीएच, कीनू-8.5 पीएच, अन्नानास 12.7 पीएच, डंडेलियल-22.7 पीएच, नारंगी 9.2 पीएच शामिल है। कोरोना विजेता ने बताया कि उसने अस्पताल के सभी नियमों को लगातार फॉलो किया। सही समय पर सही मात्रा में दवा लेते रहे। सकारात्मक विचारों का बहुत बड़ा रोल है, इसलिए ठण्डे दिमाग से हर समय अच्छी और पॉजीटिव बाते सोचते जिससे आत्मविश्वास बढ़ता गया। इसी शिड्यूल के दम पर जीत हासिल हुई।
नोट – देश में कोरोना के संकटकाल में इस वायरस का मुकाबला करने में जुटी चतुरंगिणी सेना का आप और हम सभी को हौसला अफजाई कर चाहिए। इस महामारी के संकटकाल में इस खतरनाक वायरस से सभी को बचाने के लिए चतुरंगिणी सेना कोरोना और हमारे बीच एक दीवार बनकर मुस्तैद है। जिस दीवार को फांदना कोरोना के लिए असंभव सा है। आप सभी को यह खबर एवं जानकारी अच्छी लगे तो इसे सोशल मीडिया के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को पहुंचाएं है जिससे देश के सभी नागरिक कोरोना के खिलाफ जागरूक हो सके। देश के संकटकाल में थोड़ा सा सहयोग आपका और हमारा भी बन सके।