






बीकानेर। कृषि महाविद्यालय का टीचिंग सिस्टम पूर्णतया डिजिटाइज्ड हो चुका है। ऑनलाइन क्लासेज के बाद अब विभिन्न विभागों के एमएससी-पीएचडी विद्यार्थियों की क्रेडिट सेमिनार और पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों के प्री और पोस्ट थिसिस वाय-वा भी इसी माध्यम से हो रहे हैं। बीएससी चतुर्थ वर्ष के सभी स्टूडेंट्स ‘रेडीÓ का वाय-वा घर बैठे ऑनलाइन दे सकें, इसका शेड्यूल तय कर दिया गया है। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान राज्यपाल एवं कुलाधिपति, राज्य सरकार के साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ई-लर्निंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इसके मद्देनजर सभी क्लासेज में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था लागू की गई। इसके लिए सभी विभागाध्यक्षों एवं समस्त शिक्षकों को जूम, सिसको, वेबेक्स, गूगल मीट, गूगल क्लासरूम एवं गूगल फॉर्म जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेज चलाने का तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रो. सिंह ने बताया कि इस दौरान सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को यूज करने, प्रोफाइल बनाना एवं इसे मैनेज करना, साइन इन, स्टूडेंट्स के लिए क्लासेज शेड्यूल करना, स्टूडेंट्स को इनवाइट करना, पॉवर पाइंट अथवा पीडीएफ फाइल शेयर करना, गूगल फॉर्म में ऑनलाइन क्विज, एग्जाम करवाना सहित विभिन्न विषयों के प्रशिक्षण दिए गए। महाविद्यालय द्वारा अब तक शिक्षण का कार्य ऑनलाइन माध्यम से होता था, अब ऑनलाइन वाय-वा भी शेड्यूल्ड कर दिया गया है। इसके बाद विशेषज्ञ को दिल्ली, जयपुर अथवा अन्य किसी स्थान से आने की जरूरत नहीं रहेगी, बल्कि ऑनलाइन माध्यम से ही यह परीक्षा हो जाएगी। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. आई. पी. सिंह ने बताया कि वर्तमान में सभी कक्षाओं के शैक्षणिक कलैण्डर का निर्धारण किया गया है तथा इसके अनुरूप वर्चुअल क्लासेज लगाई जा रही हैं। कक्षावार व्हाट्सअप ग्रुप भी बनाए गए हैं। इनके माध्यम से भी मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज से संबंधित प्रशिक्षण डॉ. अरविंद झांझाडिय़ा द्वारा दिया गया।
ऑनलाइन बैठक में निभाई भागीदारी
कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने मंगलवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (शिक्षा) डॉ. आर. सी. अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित ऑनलाइन बैठक में भागीदारी निभाई। डॉ. अग्रवाल ने मॉइक्रोसॉफ्ट डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेज में अटेंडेंस, कंटेंट शेयरिंग, एक्जामिनेशन आदि कैसे आयोजित किए जाएं, इससे संबंधित जानकारी दी। बैठक में सभी कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, डीन एवं फैकल्टी सदस्य मौजूद रहे।