






बीकानेर। खजूर के फलों की तुड़ाई के पश्चात् इनके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर विशेष ध्यान दिया जाए। किसानों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज खजूर के मूल्य सवंर्धित उत्पादों जैसे जेम, जैली, सॉस, छुहारा, पिंड खजूर, शर्बत आदि की मांग बढ़ रही है। बरसात के मौसम से पूर्व फलों की तुड़ाई और इसके मूल्य सवंर्धित उत्पादों से किसानों को खजूर उत्पादन की पूरी कीमत मिल पाएगी तथा उन्हें अधिक लाभ होगा। यह कहना था स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह का। अवसर था रविवार को खजूर अनुसंधान केन्द्र के निरीक्षण का। उन्होंने 34 किस्मों के पौधों में लगे खजूर के फलों का अवलोकन किया तथा इनकी उपयोगिता एवं गुणों के बारे में जाना। पक्षियों से फलों के बचाव के मद्देनजर सुरक्षा के समुचित उपाय करने के निर्देश दिए। उन्होंने हलावी किस्म के फलों को गुणवत्ता के लिहाज से अच्छा बताया तथा कहा कि केन्द्र द्वारा विकसित तकनीकों को किसान के खेत तक पहुंचाया जाए। साथ ही खजूर के सकर्स लगाने की तकनीक विकसित करने पर जोर दिया जिससे पौधों की उत्तरजीविता में बढ़ोतरी हो। इस दौरान अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एस. शेखावत, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. एस. आर. यादव, प्रयोजना प्रभारी डॉ. ए. आर. नकवी तथा उद्यानिकी विशेषज्ञ राजेन्द्र सिंह राठौड़ मौजूद रहे।