






जयपुर। कोविड-19 के चलते मार्च माह में स्थगित की गई 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाओं को ओर अधिक समय के लिए स्थगित करने से राजस्थान हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश् इन्द्रजीत महांति और जस्टिस सतीश शर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिये है कि वो केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी कि गयी गाईडलाईन की सख्ती से पालना कराते हुए परीक्षाओं का आयोजन कराये। गौरतलब है एडवोकेट पूनमचंद भण्डारी ने पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से जनहित याचिका दायर करते हुए राज्य में कोरोना वायरस के बढते संक्रमण के चलते आरबीएसई और सीबीएसई की 10 और 12 वी की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित करने की गुहार लगायी थी। याचिका में कहा गया कि प्रदेशभर में अगर 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं कराई जाती है तो इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। संस्था की ओर से अधिवक्तता पूनमचंद भंडारी, टीएन शर्मा और अन्य अधिवक्ताओं ने पैरवी की।
25 लाख स्टूडेंट्स और 2 लाख स्टाफ होगा शामिल
याचिका में कहा गया है कि देशभर में होने वाली इन बोर्ड परीक्षाओं में करीब लाखों लाख स्टूडेंट्स और 3 लाख टीचर्स स्टाफ शामिल होंगे। वहीं राज्य में भी दोनो बोर्ड की परीक्षाओं में बड़ी तादाद में स्टूडेंट और टीचर्स शामिल होगे। इतने लोगों के परीक्षा केंद्रों पर उपस्थित होने पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना संभव नहीं है। इसके अलावा परीक्षा से पूर्व इतने स्टूडेंट्स की जांच भी संभव नहीं है। उनके लिए करीब 80 हजार से ज्यादा वाहनों की जरूरत होगी। परीक्षा के लिए बड़ी मात्रा में पेपर और उत्तर पुस्तिकाओं को सेनेटाइज करना भी संभव नहीं है। ऐसे में परीक्षाओं को रद्द करके स्टूडेंट्स को अगली कक्षा में प्रमोट किया जाना चाहिए।