






चौमूं। लॉकडाउन की वजह से मजदूरों के सामने बड़ी विकट समस्या खड़ी हो गई है। न रोजगार मिल रहा है, न मजदूरी और न घर। ऐसे में मजदूर मझधार में अटके हुए हैं। इन मजदूरों की नाव को किनारे लगाने के लिए सरकार ने रोडवेज बसों से व्यवस्था की है ताकि मजदूर घर तक पहुंच सकें लेकिन फिर भी प्रवासी मजदूरों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। मजदूर आज भी पैदल ही घरों की ओर लौटने को मजबूर हैं। मजदूरों की पीड़ा को चौमूं विधायक रामलाल शर्मा मुख्यमंत्री के साथ हुई वीसी में भी उठा चुके हैं। आज भी बीकानेर से पैदल रवाना हुए तकरीबन 40 मजदूर सामोद के मोरिजा गांव पहुंचे हैं। सभी मजदूर भूखे प्यासे ही पैदल पहुंचे हैं, जहां स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों ने इन मजदूरों के दर्द को सुनकर उनके लिए खाने पीने की व्यवस्था की। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया गया तो कोई जवाब नहीं मिला। जब चौमूं स्ष्ठरू कार्यलय में स्थापित कंट्रोल रूम को फोन किया गया तो बेतुका जवाब देकर काट दिया। कंट्रोल रूम से कहा गया कि मजदूरों को रोकने की दरकार नहीं है। जहां जा रहे हैं, जाने दो। इससे लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी से बचने का काम कर रहे हैं। उपखंड अधिकारी को फोन किया गया तो फोन ही नहीं उठाया लेकिन तहसीलदार शिवचरण शर्मा ने संवेदनशीलता दिखाई और सूचना मिलने के बाद तत्काल मौके पर पहुंचे। इन मजदूरों का दुख दर्द जाना। तहसीलदार शिवचरण शर्मा ने उच्च अधिकारियों से बातचीत करने के बाद मजदूरों को आश्वस्त किया कि उनकी ट्रेन 18 मई को जयपुर में आएगी। दरअसल, यह तमाम मजदूर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैं, जो बीकानेर में मजदूरी का काम करते थे। इसकी वजह से वे बीकानेर में ही अटके हुए थे और अब मजदूरों के लिए सरकार ने जाने आने की व्यवस्था की है लेकिन ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद भी कोई रिप्लाई नहीं मिला। मजदूर घर जाने की ललक में पैदल ही रवाना हो गए। वहीं, तहसीलदार शिवचरण शर्मा ने बताया कि सभी मजदूरों के ठहरने के लिए मोरिजा स्कूल में व्यवस्था की गई है। सभी मजदूरों को स्कूल में ठहराया गया है। मजदूरों ने तहसीलदार का आभार जताया है।