वित्तीय सहायता को बताया ऊंट के मुंह में जीरे के समान… पढ़े पूरी खबर

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बीकानेर। कोरोनाकाल में संकट के दौर में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से योजना के नाम पर वित्तीय सहायता मुहैया कराए जाने पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए नाराजगी प्रकट की गई है। जनक्रांति फाउण्डेशन के संरक्षक एडवोकेट कुलदीप कड़ेला ने बार कौंसिल चैयरमेन को ज्ञापन भेजकर अवगत कराया है कि योजना में अधिवक्ताओं का वर्गीकरण करना उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाया जा रहा है। वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए ऑल इंडिया बार परीक्षा उत्तीर्ण होने की बाध्यता के प्रावधान को समाप्त करने और बार कौंसिल में पंजीकृत समस्त जूनियर अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की मांग बार कौंसिल के चैयरमेन से की गई है। एडवोकेट कुलदीप कड़ेला ने ज्ञापन में बताया कि सहायता राशि के रूप में महज पांच हजार रुपए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। जबकि अधिवक्ता लगातार 21 मार्च से बेरोजगार है। यह राशि कम से कम दस हजार रुपए की जानी चाहिए। आर्थिक संकट झेल रहे प्रदेश के हजारों अधिवक्ताओं में से महज 30 अधिवक्ताओं को चयनित करना बाकी जरूरतमंद अधिवक्ताओं के साथ अन्याय है। यह अधिवक्ताओं की गरिमा के विरुद्ध है और वकील समुदाय की एकता की परिपाटी के खिलाफ है।

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