


हेमन्त कातेला
माँ तेरा जिक्र होता है जब आँखे भर आती है,
माँ तेरा जिक्र होता है जब यादे उमडक़र बाहर चली आती है,
तेरे से दूर जाकर पता चला माँ तेरे को छोडक़र दुनिया मतलबी सी है,
तुमने जब जब बोलता मैंने एक ना सुनी तेरी अब वो सब सच होती है बाते तेरी माँ,
जब जब याद तेरी आती है बैठ जाता हूं तेरी यादो के सारे,
और चुपके से एक एक आंसू आ जाते हे,
जब छोटे थे तेरी बातों से गुस्सा आ जाता था,
आज उन्ही बीती बातों को याद कर के आखो से आंसू आ जाते हे माँ,
तेरी बातों में प्यार था तेरी मार में परवा थी, अब समझ आता है माँ,
जब तुझ से दूर जाके बैठा हूँ माँ